With the breaking of the food agreement, the risk of inflation and starvation will increase

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संयुक्त राष्ट्र ने आशंका जताई है कि काला सागर अनाज समझौता रद्द हो जाने से विश्व में लाखों लोग भूखे मरेंगे तथा अफ्रीका के भुखमरी से पीड़ित देशों और पश्चिम एशिया के आतंक से जूझ रहे मुल्कों में त्राहि-त्राहि मच जाएगी. प्रश्न उठता है कि इस समझौते के रद्द होने के लिए क्या अकेला रूस जिम्मेदार है? गत वर्ष रूस, तुर्की और यूक्रेन ने ‘ब्लैक सी ग्रेन इनीशिएटिव’ के नाम से यह डील की थी. इस समझौते के तहत यूक्रेन के समान रूस को भी अपने गेहूं और उर्वरक के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार मिला था.

इस समझौते का ठीक से पालन नहीं हुआ. पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं इसलिए रूस को बाजार का कोई फायदा नहीं मिल पाया, जबकि यूक्रेन को लाभ मिलता रहा. अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने रूस को गेहूं का अधिक भाव नहीं देने की कसम खा रखी थी. ऐसे में रूस की नाराजगी स्वाभाविक थी. रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने पहले ही चेतावनी दी थी कि यदि समझौता रद्द हुआ तो यूक्रेन के अनाज ले जा रहे जहाजों को निशाना बनाया जाएगा.

दूसरी ओर रूस की ओर से ग्रेन डील खत्म कर दिए जाने के बाद यूक्रेन फूड सप्लाई जारी रखने की बात कर रहा है. यदि रूस के बगैर यह गेहूं सप्लाई कार्यक्रम चल रहा था तो फिर यह समझौता आखिर किसलिए किया गया था? कोई भी पश्चिमी देश रूस का यह तर्क सुनने को तैयार नहीं है कि वह जिस देश के साथ युद्ध कर रहा है, उस देश को मजबूत होने का मौका क्यों दे? पिछले वर्ष मार्च से लेकर अब तक 3 यूक्रेनी बंदरगाहों से 3.20 करोड़ टन खाद्य सामग्री 3 महाद्वीपों के 45 देशों को निर्यात की गई.

इस सप्लाई में रूस का हिस्सा बहुत कम था. फिर यूएन की ओर से रूस पर ही दोषारोपण क्यों किया जा रहा है? यदि रूस ने यूक्रेन के अनाज ले जाने वाले जहाजों को रोका या उन पर हमला किया तो स्थिति बहुत बिगड़ जाएगी. पूरे विश्व के खाद्यान्न बाजार में आगामी एक पखवाड़े में गेहूं-चावल से लेकर खाद्य तेल के दाम 10 से 15 फीसदी बढ़ सकते हैं. महंगाई पूरी दुनिया को प्रभावित करेगी. जैसे ही रूस ने डील को खत्म करने की घोषणा की, अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम 3 प्रतिशत बढ़ गए.

रूस ने आरोप लगाया है कि यूक्रेन का केवल 3 प्रतिशत अनाज गरीब देशों को मिला. अफगानिस्तान के अलावा गरीब अफ्रीकी देशों जिबूती, इथियोपिया, केन्या, सोमालिया, सूडान और यमन को यूक्रेन ने 7,25,000 मीट्रिक टन अनाज भेजा है जिससे उनका गुजारा नहीं होगा. अब रूस अलग से अपना अनाज जरूरतमंद देशों को निर्यात करने पर बातचीत कर रहा है. यूएन के मुताबिक 69 देशों के 36.2 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है.