सीधे BJP की राह पकड़ी उद्योगपति जिंदल की जिंदादिली

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पड़ोसी ने हमसे कहा, “निशानेबाज,जिस तरह सारी नदियां जाकर समुद्र में मिलती हैं, ऐसे ही विपक्षी पार्टियों के कितने ही नेता राष्ट्रीय विचारधारा के प्रवाह से जुड़कर बीजेपी रूपी महासागर में समाहित हो रहे हैं। आपने गीत सुना होगा- ओह रे ताल मिले नदी के जल में, नदी मिले सागर में, सागर मिले कौन से जल में, कोई जाने ना!” 

हमने कहा, “जो विपक्षी नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं, उनका बीजेपी या आरएसएस की ED – विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है। वे सब ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी जांच एजेंसियों के भय से बीजेपी में शरण ले रहे हैं। इस बेहद जरूरी पार्टी या भारी जबरदस्त पार्टी या बहुत जानदार पार्टी में जाकर उन्हें अभयदान मिल जाता है। जांच एजेंसियों का ग्रहण दूर हो जाता है। भ्रष्ट नेताओं का कष्ट दूर हो जाने से उन्हें शांति मिलती है। बीजेपी उनके लिए परम धाम है। ”

पड़ोसी ने कहा, “निशानेबाज, उद्योगपति नवीन जिंदल 10 वर्ष कांग्रेस में रहने के बाद बीजेपी में शामिल हो गए। इस तरह घोटाले और भ्रष्टाचार की काली छाया उन्हें छू भी नहीं सकती। किसी भी जांच एजेंसी की आंच उन्हें नहीं लगेगी। ऐसा मानकर चलिए कि जो बीजेपी को भजे, वही परमपद पाएगा! इस चाल, चरित्र और चेहरा वाली पार्टी के पावन कुंड में डुबकी लगाते ही सारे पाप मिट जाते हैं। ”

हमने कहा, “जिंदल के बीजेपी में शामिल होने पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री कांग्रेस मुक्त भारत चाहते थे, इसके बजाय उन्होंने भ्रष्ट कांग्रेसियों को अपनी शरण में लेने को मजबूर करने के उद्देश्य से ईडी और सीबीआई के साथ- साथ कई वाशिंग मशीनें तैनात कर एक भ्रष्टाचारी मुक्त कांग्रेस बनाई है। ” 

पड़ोसी ने कहा, ”निशानेबाज, जिंदल के कदम से और भी सिंघल- बिंदल बीजेपी में जाने की सोचेंगे। जो जिंदादिल होता है, वही जिंदल होता है। आल्हा, ऊदल के बाद जिंदल को याद रखिए। आपने शेर सुना होगा जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं। जिंदादिल इंसान प्रतिकूलता के बीच अपना रास्ता बना लेता है। जिंदल ने विचार किया कि अब की बार 400 पार वाली पार्टी के साथ जाएं तो बेड़ा पार हो जाएगा। वफा का सौदा करनेवाले उद्योगपति या बिजनेसमैन वही काम करते हैं जिसमें नफा हो।