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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, जहां हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अतिवृष्टि कहर ढा रही है वहीं मध्यप्रदेश बारिश के लिए तरस रहा है. वहां मंदसौर के लोगों ने बरसात लाने के लिए एक दिलचस्प टोटका किया. उन्होंने एक बड़े से बर्तन में ढेर सारे गुलाबजामुन रखकर 2 गधों को खिला दिए. गधों ने मजे से सारे गुलाबजामुन खा लिए.’’

हमने कहा, ‘‘अब तक लोग कहते थे- घोड़ों को नहीं मिलती घास और गधे खा रहे च्यवनप्राश. फिलहाल कहना होगा- बारिश करवाने की धुन इसलिए गधों को खिलाए गुलामजामुन.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, गधे का अवमूल्यन मत कीजिए. वह एक मेहनती जानवर है. उस पर लोग कितना ही बोझ लाद दें वह शिकायत नहीं करता. पाकिस्तान की इकोनॉमी गधे पर चलती है. वहां के गधे चीन निर्यात किए जाते हैं. चीन के चमगादड खाने सर्व भक्षी लोग गधे को मारकर उसकी खाल से जिलेटिन निकालते हैं. देहात में धोबी कपड़ों का गट्ठर गधे की पीठ पर लादकर घाट पर जाता है. गधे रेत और ईंटों की ढुलाई भी करते हैं. अब टीचर बच्चों को डांट तक नहीं सकते. पुराने मास्टर गुस्सा आने पर किसी मंदबुद्धि छात्र को कहते थे- गधा कहीं का!’’

हमने कहा, ‘‘जिस मंदसौर में गधों को गुलाबजामुन खिलाए गए, वह मंदोदरी का मायका या रावण का ससुराल माना जाता है. वहां के पार्षद प्रतिनिधि को भी गधे पर बिठाकर घुमाने का टोटका किया गया ताकि देवराज इंद्र का मन हरषाए और वह पानी बरसाएं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, चर्चा का केंद्र गधा ही क्यों रहता है, घोड़ा क्यों नहीं? आपने फिल्म मासूम का मजेदार बालगीत सुना होगा- लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा, घोड़े की दुम पे जो मारा हथौडा, दौड़ा-दौड़ा घोड़ा दुम दबाकर दौड़ा. अरबी घोड़ा मशहूर होता है. घोड़ों की रेस होती है. पोलो जैसा खेल घुड़सवार खेलते हैं. घोड़े की ताकत को पैमाना बनाकर इंजन का हार्सपावर बनाया जाता है. इतिहास में महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक बहुत प्रसिद्ध है. पहले घोड़े सवारी और युद्ध में काम आते थे. गधा कभी भी घोड़े का मुकाबला नहीं कर सकता. घोड़ा हमेशा शानदार होता है जबकि गधा बेचारा होता है.’’