प्रशांत किशोर ने मारा ताना नीतीश को कहा ‘अंधों में काना’

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ ‘पीके’ ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीशकुमार को ‘अंधों में काना राजा’ कह दिया. उन्होंने यह भी कहा कि वे अपने इर्द गिर्द सब बेवकूफ लोगों को बैठाए हुए हैं. क्या ‘पीके’ को ऐसी चुभनेवाली बातें कहनी चाहिए थीं?’’

हमने कहा, ‘‘किसी भी व्यक्ति को चापलुसों या हां में हां मिलानेवाले लोगों की बजाय किसी निंदक को पास में रखना चाहिए. ऐसा इंसान दोष उजागर करेगा या गलतियां गिनाएगा. संत तुलसीदास ने लिखा है- निंदक निसरे राखिए, आंगन कुटी छपाय. मराठी में भी संतवाणी है- निंदकाचे घर असावे शेजारी अर्थात पड़ोस में निंदा करनेवाले का घर रहना चाहिए. इसे देखते हुए नीतीशकुमार को चाहिए कि प्रशांत किशोर को अपने पड़ोस में बसा लें और कदम-कदम पर उनकी सलाह लिया करें.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, बीजेपी विरोधी विपक्षी पार्टियों का गठबंधन बनाने की पहल करने में लगे नीतीशकुमार ने अपन इस महत्वपूर्ण अभियान में प्रशांत किशोर की सेवाएं नहीं लीं. उन्हें पूछा तक नहीं! इस वजह से पीके नाराज होंगे. एक प्रोफेशनल के तौर पर प्रशांत किशोर सर्वे करवाते हैं, नारे गढ़ते हैं, कैम्पेन की पूरी प्लानिंग तय करते हैं. उनकी अपनी बड़ी सी टीम है जो चुनाव जीतने की पूरी रेडीमेड प्लानिंग कर देती है. उन्होंने अधिकांश पार्टियों को अपनी सेवाएं दी है. एक समय पीके ने ही जदयू को यह नारा दिया था- बिहार में बहार है, नीतीश कुमार है.’’

हमने कहा, ‘‘प्रशांत किशोर ने सचेत करते हुए कि नीतीश बिहार में एकमात्र पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं, इस बात का उनको भ्रम होगया है कि मैं ही सब जानता हूं, मुझे ही सब मालूम है. वे बेवकुफों से घिरे हुए हैं. आज बिहार में ऐसे भी नेता है जिनको अपना नाम तक लिखना नहीं आता. वही नीतीशकुमार को नाम लिखना आता है तो लोगों को लगता है कि वे बहुत बड़े विद्वान आदम हैं.’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘प्रशांत किशोर राजनीति को इवेंट के रूप में लेते हैं. वे बतौर पोल स्ट्रेटेजिस्ट या चुनावी रणनीतिकार अपने तरीके से बिसात बिछाते हैं. उनका संकेत यही है कि नीतीश को विपक्षी गठबंधन बनाना है तो किसी अन्य की बजाय उन पर भरोसा कर जिम्मेदारी सौंप दें.’’