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Delhi High Court , response on petition , demolition of schools , build malls,

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    नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC), नगर सरकार और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग से जवाब मांगा। यह याचिका करोलबाग में व्यावसायिक स्थान (मॉल) और बहुस्तरीय कार पार्किंग बनाने के लिए एक प्राथमिक विद्यालय को कथित तौर पर गिराए जाने के खिलाफ दायर की गई है।

    कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने नोटिस जारी किया। याचिका में “181 करोड़ रुपये की बोली के साथ निविदा प्रक्रिया” में सफल होने के बाद निर्माण करने वाली कंपनी के रुख को लेकर भी सवाल किया गया है।

    वकील अमित साहनी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि विचाराधीन भूमि क्षेत्र के ‘लेआउट प्लान’ के अनुसार स्कूल के रूप में उपयोग के लिए है और उसमें कोई संशोधन नहीं किया गया है, इसलिए वहां दुकानों और कार्यालयों के साथ वाणिज्यिक इमारत बनाने या बहु-स्तरीय पार्किंग के निर्माण की बिल्कुल अनुमति नहीं है।

    याचिका में यह भी कहा गया है कि कथित बहुस्तरीय कार पार्किंग का निर्माण मनमाना, गैरकानूनी, अनुचित और संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णित सिद्धांतों के खिलाफ है। इसमें कहा गया है कि वहां 1927 से एक प्राथमिक विद्यालय चल रहा था लेकिन 2019 में एनडीएमसी ने उस जमीन का इस्तेमाल बंद कर दिया और छात्रों को एक अन्य छोटे स्कूल में स्थानांतरित कर दिया।

    याचिकाकर्ता ने आगे दलील दी है कि परिसर को बाद में बागवानी विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया और वहां 43 पेड़ हैं जो 50 से 100 वर्ष पुराने हैं और निर्माण के लिए उन्हें गिरा दिया जाएगा। इस मामले में अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी। (एजेंसी)