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    नांदगांव खंडेश्वर. केंद्र सरकार ने हाल ही में भारतीय सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना की घोषणा की है. जिसके खिलाफ शनिवार की दोपहर 2 बजे एसएफआई, डीवाईएफआई द्वारा स्थानीय बस स्टॉप परिसर में विरोध प्रदर्शन कर इस नीति का विरोध किया गया. इस समय महादेव गरपवार, श्याम शिंदे समेत अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे.

    युवाओं का भारी असंतोष 

    प्रदर्शन के दौरान कहा गया कि इस योजना के तहत सेना में 10 लाख युवाओं को चार साल के लिए अवसर देने की प्रक्रिया को लागू करने की घोषणा केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की. अग्निपथ योजना ने देश की सेवा करने का सपना देखने वाले लाखों युवाओं का मोहभंग कर दिया. पिछले कई वर्षों से सेना में भर्ती होने के लिए दिन-रात प्रशिक्षण लेने वाले युवा इस उम्मीद में अभ्यास कर रहे हैं कि नियमित भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, लेकिन योजना ने उनके सपनों को उल्टा कर दिया है.

    इसलिए, इस योजना की घोषणा के बाद से पूरे देश में युवाओं का भारी असंतोष देखा जा रहा है. दूसरी ओर, केंद्र सरकार अग्निपथ योजना के तहत सेना जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण क्षेत्रों को अनुबंधित करने का काम कर रही है. यह सशस्त्र बलों की गुणवत्ता और दक्षता से गंभीर रूप से समझौता कर रहा है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ी क्षति होगी.

    सरकार बिना सेना में नियमित भर्ती प्रक्रिया चलाए अग्निपथ योजना के माध्यम से युवाओं को चार साल के लिए भर्ती कर युवाओं को अग्निवीर की उपाधि प्रदान करने जा रही है और चार साल बाद वे बेरोजगारी की खाई में गिर जाएंगे. यह भी कहा कि कुल भर्ती युवाओं में से केवल 25 प्रतिशत को ही अगली सेवा में समायोजित किया जाएगा. शेष 75% युवा चार साल बाद सेवानिवृत्त होंगे. इससे कम उम्र में भारी बेरोजगारी और युवाओं में भारी अवसाद पैदा होगा जो समाज के स्वास्थ्य और युवाओं के भविष्य के लिए हानिकारक है.

    युवाओं को बेराजगारी के खाई में धकेलने की नीति

    चार साल बाद न ग्रेजुएशन, न पेंशन, न नौकरी. इसी का नतीजा है कि सरकार खुद देश में लाखों बेरोजगार युवाओं की फौज बनाने का काम कर रही है. सरकार वेतन और पेंशन पर बचत करना चाहती है और रक्षा क्षेत्र का निजीकरण और अनुबंध करना चाहती है. यह योजना से स्पष्ट है. लाखों युवा दिन-रात सेना में भर्ती होने और देश की सेवा करने और एक अच्छी सुरक्षित नौकरी पाने के लिए काम कर रहे हैं. आज इस देश में बेरोजगार युवाओं की एक विशाल सेना का गठन हो गया है. सरकार उनकी समस्याओं को हल करने की बजाय उन्हें बेरोजगारी की खाई में फेंकने की नीति पर चल रही है.