Buldhana Lok Sabha Elections 2024
बुलढाना लोकसभा सीट (डिजाइन फोटो)

बुलढाना महाराष्ट्र का एक महत्‍वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। इस निर्वाचन क्षेत्र में जलगांव समेत 6 विधानसभा क्षेत्रों को समाहित किया गया है। बुलढाना भी विधानसभा क्षेत्र है। 2009 से लेकर 2019 तक यह सीट शिवसेना के कब्जे में ही रही और जाधव प्रतापराव गणपतराव यहां सांसद है।

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बुलढाणा: महाराष्ट्र (Maharashtra) की 48 लोकसभा सीट में से एक महत्‍वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र ‘बुलढाना’ (Buldhana) है। इस निर्वाचन क्षेत्र में जलगांव (Jalgaon) समेत 6 विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। अमरावती (Amravati) संभाग में आने वाला बुलढाना एक विधानसभा क्षेत्र है। यह सीट 1952 में ही अस्तित्व में आई थी। 962 में जब इस सीट पर लोकसभा चुनाव हुआ था तो उस समय कांग्रेस ने शिवराम रंगो राणे को उम्मीदवार घोषित किया था। जहां कांग्रेस को जीत मिली थी। आज जानते हैं की 2024 के चुनाव में कौन सी पार्टी यहां अपने कदम मजबूत करेगी।

बुलढाना में जिला मुख्‍यालय होने के कारण यहां सभी सरकारी विभागों के दफ्तर हैं। यहां ज्‍यादातर लोग मराठी बोलते हैं। बुलढाना के उत्तर में मध्य प्रदेश, दक्षिण में जालना, पश्चिम में जलगांव और औरंगाबाद और इसके पूर्व में अकोला, वाशिम और अमरावती बसा हुआ है। बुलढाना में गजानन महाराज जी की प्रसिद्ध मंदिर भी है जो कि पर्यटक का बड़ा केंद्र है। बताते चलें की यह सीट 1952 में ही अस्तित्व में आ गई थी।

कांग्रेस को मिली थी जीत

1962 से उपलब्ध जानकारी के अनुसार जब इसी साल इस सीट पर लोकसभा चुनाव हुआ था तो उस समय कांग्रेस की तरफ से शिवराम रंगो राणे उम्मीदवार के तौर पर उभरे थे। दूसरी ओर पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया से सोनू आनंद पंडित प्रत्याशी बनकर मुकाबला कर रहे थे। उस समय के चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई और पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था।

वहीं इसके बाद भी साल 1967 के चुनाव में भी कांग्रेस ने एक बार फिर से शिराम रंगो राणे की अगुवाई में जीत हासिल की थी। उस वक्त दूसरे नंबर पर बीजेएस के के.एन.संचेती रहे थे। 1970 के उपचुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस (जगजीवन) पार्टी के उम्मीदवार वाइएस महाजन को जीत हासिल हुई थी। इसके बाद से ही सीट पर कांग्रेस की पकड़ कमजोर होती दिखाई दी और इसके बाद 1977 के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के उम्मीदवार गवै दौलत गणजी की जीत हुई।

भाजपा का भी रहा कब्जा

लेकिन ये सीट कांग्रेस के लिए दोबारा अच्छी किस्मत लेकर आई साल 1980 में कांग्रेस के वासनिक बालकृष्ण रामचन्द्र सांसद निर्वाचित हुए।1984 में कांग्रेस ने यहां से वासनिक मुकुल बालकृष्ण को टिकट दिया और उन्होंने जीत भी हासिल की। लेकिन साल 1989 में इस सीट पर पहली बार बीजेपी के काले सुखदेव ने पार्टी का खाता खोला और बीजेपी को पहली बार जीत हासिल हुई। इसके बाद 1991 में फिर से कांग्रेस की वापसी हुई और बालकृष्ण फिर दूसरी बार सांसद बने।

शिवसेना ने भी किया राज

कांग्रेस और बीजेपी के बाद साल 1996 में यह सीट शिवसेना के कब्जे में भी है। अंदशुल आनंदराव विठोबा यहां सांसद बने। इसके बाद फिर कांग्रेस काल आया और 1998 में कांग्रेस ने वासनिक मुकुल बालकृष्ण को टिकट दिया और वे तीसरी बार सांसद बने।

1999-2004 में लगातार दो बार यह सीट शिवसेना की सीट रही और अंदशुल आनंदराव विठोबा सांसद रहे। 2009 से लेकर 2019 तक यह सीट शिवसेना के कब्जे में ही रही और जाधव प्रतापराव गणपतराव यहां सांसद है। अब देखना दिलचस्प होगा की क्या फिर एक बार इतिहास दोहराकर कांग्रेस शिवसेना से बाजी छीन ले जाएगी या बीजेपी यहां अपना कमल खिलाएगी।