Image-Twitter-CMO Maharashtra
Image-Twitter-CMO Maharashtra

Loading

छत्रपति संभाजी नगर : महाराष्ट्र (Maharashtra) के छत्रपति संभाजी नगर (Chhatrapati Sambhaji Nagar) में रविवार को मनपा के सिद्धार्थ चिड़ियाघर में बाघ के शावकों के नामकरण समारोह में मुख्यमंत्री (CM Shinde) द्वारा निकाली गई पर्ची के बाद एक अलग तरह का सियासी माहौल बन गया। आदित्य (Aaditya) नाम की पर्ची निकलने के बाद नामकरण के लिए आदित्य को दरकिनार करके दूसरी पर्ची का निकाला जाना एक नए सियासी विवाद को हवा देने लगा है। हालांकि मंच पर मौजूद पर्यावरण मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने विवाद को बढ़ाने की आशंका के मद्देनजर फौरन उस पर्ची को बदलकर दूसरी पर्ची निकलवाई। इस पर्ची को निकालने के बाद शावक का नाम आदित्य की जगह कान्हा रखा गया।

 

आपको बता दें कि रविवार को बाघ के शावकों के नामकरण के लिए चिड़ियाघर में नामकरण समारोह आयोजित किया गया था, जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ उपमुख्यमंत्री अजित पवार और पर्यावरण मंत्री सुधीर मुनगंटीवार (Environment Minister Sudhir Mungantiwar) तीन शावकों का नामकरण करने वाले थे। जब मुख्यमंत्री के द्वारा पर्ची निकाली गई तो उस पर्ची में आदित्य नाम निकला, जिसे देखते ही अजीत पवार अपनी हंसी नहीं रोक पाए और सुधीर मुनगंटीवार ने मामले को भांपते हुए तुरंत मुख्यमंत्री से इस नाम की पर्ची वापस लेते हुए दूसरी पर्ची निकालने को कहा।

वही नाम बदलने की राजनीति पर शिवसेना (यूबीटी) ने तंज कसते हुए कहा हैकि आदित्य ठाकरे से डरकर सरकार ने इस तरह का फैसला लिया है। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे और शिवसेना (यूबीटी) ने कहा, ‘‘ चाहे यह दुनिया (आदित्य ठाकरे का जिक्र करते हुए) हो या आसमान (सूर्य को भी आदित्य कहते हैं), कोई भी आदित्य को नहीं रोक सकता. यह सरकार उनके नाम से भी डरी हुई है।’’

वहीं इस मामले में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के नेता इम्तियाज जलील ने व्यंग्यात्मक लहजे में राजनीति को निचले स्तर तक ले जाने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘ शावकों के नाम देवेंद्र, अजित और एकनाथ भी रखे जा सकते थे।’’

सफेद बाघिन अर्पिता (सौजन्य से- CMO ट्विटर)

आपको बता दें कि छत्रपति संभाजी नगर के मनपा के सिद्धार्थ चिड़ियाघर में एक सफेद बाघिन अर्पिता ने 7 सितंबर को 3 शावकों को जन्म दिया था। इसीलिए मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम समारोह आयोजित होने के बाद इन शावकों के नामकरण संस्कार किए गए। इसमें इन तीनों का नाम अंतत: श्रावणी, विक्रम और कान्हा रखा गया।