Paddy
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गड़चिरोली. केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों के लिए किमान समर्थनमुल्य घोषित किया है. धान के समर्थनमुल्य में (एमएसपी) अल्प 143 रूपयों की वृद्धि की है. जिससे धान का भाव अब 2183 रूपयों पर पहुंचा है. केंद्र सरकार ने धान फसले के समर्थनमुल्य में अल्प वृद्धि करने से इस निर्णय के प्रति किसानों में नाराजगी व्यक्त हो रही है. 

सरकार समर्थनमुल्य के माध्यम से किसानों के उपज को एक निश्चित किंमत में खरीदी करने की गारंटी लेती है. उत्पादन खर्च के अनुसार केंद्रीय कृषिमूल्य आयोग ने निश्चित किए गए सुत्र के अनुसार फसल निहाय समर्थनमुल्य निश्चित किया जाता है. केंद्रीय मंत्रीमंड़ल ने खरीफ बिक्री सीजन के लिए समर्थनमुल्य निश्चित किया है.

इसमें धान को प्रति क्विंटल 2183 रूपयों का दर निश्चित किया गया है. फिलहाल धान की समर्थनमुल्य किंमत 2040 है. बिते कुछ वर्षो में समर्थनमुल्य सैंकडे के पार नहीं हो रहा था. किंतु इस वर्ष प्रति क्विंटल 143 रूपयों की वृद्धि की है. बिते वर्ष 1940 रूपयों पर से 100 रूपयों की वृद्धि हुई थी. महंगाई के तुलना में यह दरवृद्धि अल्प है, किंतु बिते वर्ष से कुछ मात्रा में अधिक होने से किसानों ने समाधान की भूमिका ली है. 

पूर्व विदर्भ में गड़चिरोली, चंद्रपुर, भंडारा, गोंदिया तथा कोकण पट्टे में बडे पैमाने पर धान उत्पादक किसान है. अन्य फसल उत्पादक किसान के तुलना में धान की खेती यह बिना भरोसे की हुई है. खर्च अधिक, उत्पादन कम, ना ही बिक्री की तथ्ज्ञा भाव की गारंटी’ ऐसी स्थिती धान उत्पादकों की हुई है. धान उत्पादक किसानों को सिंचाई की सुविधा नहीं होने से प्रतिकूल स्थिती में खेती कर रहे है. धान यह जिले की मुख्य फसल है. बडे पैमाने पर उत्पादन होने के बावजूद राइस मिल को छोड उसपर आधारित बडे उद्योग नहीं है. बिते कुछ वर्षो से जिले के धान उत्पादक किसान प्राकृतिक संकटों का सामना कर रहे है. सरकार ने भी समय समय पर किसानों को वित्तीय सहारा दिया है. फिर भी उसमें व्यापक बदलांव नहीं दिखाई देते है. 

अल्प वृद्धि; किसानों में नाराजगी 

खेतों के मशागत का कार्य भी भी महंगी हुई है. उसके साथ मजदूरी के खर्च में वृद्धि हुई है. निविष्ठा का खर्च भी दोगुना बढ गया है. सरकार ने समर्थन मुल्य में सरकार ने अल्प वृद्धि करने से किसानों में नाराजगी है. प्राकृतिक संकट से भी किसानों का नुकसान हुआ है. जिससे उत्पादन घटा है. इस माध्यम से उत्पादन खर्च निकालना भी संभव नहीं है. धान का करीब 120 दिनों का सीजन होता है. खेत में समुचा परिवार मेहनत लेता है. उनके मजदूरी खर्च भी निकालना मुश्किल होता है. 

चाहिए करीब 3 हजार समर्थनमुल्य 

विगत 10 वर्षो के धान के किमान समर्थनमुल्य के आंकडेवारी पर निगाहें डाले तो वर्ष 2013-14 से 2023-24 इस कालावधि में 966 रूपये प्रति क्विंटल वृद्धि हुई है. किंतु समर्थनमुल्य के तुलना में उत्पादन का खर्च तीन गुना बढ गया है. सरकार द्वारा दी गई दरवृद्धी अल्प होने की बात किसानों द्वारा कहीं जा रही है. किसानों को प्रति क्विंटल करीब 3 हजार रूपये समर्थनमुल्य अपेक्षित है.