Demand for transparency in OBC reservation, organization in preparation for demonstration

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    गड़चिरोली. कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस के सरंजामशाही प्रवृत्तियों को ओबीसी समाज का राजनिति का अस्तीत्व चुभ रहा है. इसी कारण राज्य पिछडावर्ग आयोग को वित्तीय मुश्किलों में डालकर ओबीसी आरक्षण को कायम स्वरूप में सुरंग लगाने तथा उस माध्यम से ओबीसी का राजनिति का अस्तीत्व समाप्त करने का राज्य सरकार का छडयंत्र है. यह छडयंत्र सर्वोच्च न्यायालय के नतिजों के चलते उजागर हुआ है, ऐसी टिप्पणी भाजपा के जिलाध्यक्ष किसन नागदेवे ने मंगलवार को पत्रपरिषद से की है. 

    राज्य के स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में अन्य पिछडावर्गीयों के लिए होनेवाले 27 प्रश सिटों पर चुनाव लेने में सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगिती दी है. ओबीसी का आरक्षण पुनर्स्थापित करने के लिए इस समाज को राजनितिक पिछडापन साबित करना आवश्यक था. इसके लिए स्थापन किए गए राज्य पिछडावर्ग आयोग को ठाकरे सरकार ने निधि व अन्य किसी तरह का सहयोग नहीं करने से आयोग का कामकाज शुरू नहीं हुआ.

    कांग्रेस व शरद पवार के नेतृत्व में राकां में सरंजामशाही प्रवृत्तियों को ओबीसी समाज का राजनिति में आरक्षण चुभ रहा है. जिससे न्यायालय ने निर्धारित की गई प्रक्रिया जानबुझकर लंबीत कर आरक्षण न मिले, इसलिए सरकार ने आयोग को मुश्किलों में डाला है. ऐसा आरोप भी उन्होने किया. 

    आरक्षण संदर्भ में जानकारी नहीं की इकट्टा 

    राज्य के ओबीसी समाज की जानकारी इकट्टा कर उनके राजनितिक पिछडापन अभ्यास व उसके तहत रिपोर्ट पेश करने के लिए 435 करोड़ रूपयों का प्रस्ताव आयोग ने जुलाई में ही राज्य सरकार को भेजा था. किंतू सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. आरक्षण संदर्भ में आवश्यक जानकारी इकट्टा करने का कार्य ही शुरू नहीं हुआ. राज्य सरकार ने आदेश देने पर एक माह के भितर रिपोर्ट देने की तैयारी होने की बात आयोग ने अगस्त माह में ही स्पष्ट की थ्ज्ञी. किंतू सरकार ने उसपर भी कोई कार्यवाही नहीं की. जिससे आरक्षण गंवाने की नौबत ओबीसी समाज पर आयी है. ऐसी बात नागदेवे ने कहीं. 

    ओबीसी के अधिकारों के लिए भाजपा करेगी संघर्ष 

    बिते अगस्त माह में इस प्रश्न संदर्भ में ठाकरे सरकार ने बैठक आयोजित की. तब भी सरकार की ओर कोई भी प्रस्ताव या हल नहीं था. विरोधी पक्षनेता देवेंद्र फडणवीस ने उस बैठक में सूचित करने के तहत पिछडावर्गीरू आयोग मार्फत इम्पिरिकल डेटा तैयार कर ओबीसी का राजनितिक पिछडापन साबित करना आवश्यक था. किंतू 3 दलों के सरकार ने लेटलतीफी कर तिहेरी ठगी की है.

    राज्य के महत्वपूर्ण रानितिक व सामाजिक मुद्दे ताक पर रखकर समाज में अस्वस्थता निर्माण करने का राज्य सरकार का छडयंत्र है. ओबीसी समाज का राजनितिक आरक्षण पुनर्स्थापित कर उनके राजनितिक अधिकार उन्हे फिर से मिले, इसके लिए भाजपा संघर्ष करेगी, ऐसी बात भी किसन नागदेवे ने कहीं है.