पशु वैद्यकीय अस्पताल कंपाउंडर के भरोसे

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    गोंदिया.  जिले की अर्थव्यवस्था पुर्ण रूप से खेतीपूरक व्यवसाय पर निर्भर है  लेकिन जिले की पशु वैद्यकीय अस्पतालों का कामकाज  राम भरोसे शुरू है. पशु वैद्यकीय अधिकारी नहीं होने से कंपाउंडर ही अनेक अस्पतालों का कार्य संभाल रहा है जिससे पशुपालकों में चिंता का वातावरण है. जिले में पशुपालन व्यवसाय और दूध उत्पादन व्यवसाय करने वाले किसान व पशुपालकों की संख्या बड़े पैमाने पर है.

    शासन की योजना का लाभ नहीं मिलने से नया तंत्रज्ञान अब तक उनसे कोसों दूर है. किसान व खेती पूरक व्यवसाय के रूप में पशु पालन करने वाला वर्ग आर्थिक दृष्टि से बहुत पिछड़ा है. इस विभाग की ओर जनप्रतिनिधि सहित अन्य जागरूक लोगों का ध्यान नहीं होने से पशुपालन क्षेत्र में कुछ भी प्रगती नहीं हुई है. इतना ही नहीं संबंधित विभागों के अधिकारी कर्मचारी भी पशुपालकों को मार्गदर्शन नहीं करते है. शासन के योजनाओं की जानकारी भी पशु पालकों तक नहीं पहुंच रही है.

    जिले के कुल क्षेत्रफल 5,17, 807 हेक्टर है. इसमें से 2,35,476 हेक्टर जमीन पर खेती की जाती है. जबकि 2,56,400 हेक्टर वन भूमि है. जिससे पशु के लिए घास उपलब्ध है. किसान खेती के अतिरिक्त खेती पुरक व्यवसाय के रूप में गाय, भैंस व बकरी पालन करता है. जिससे गाय व भैंस का दुध व्यवसाय करते है. जिले में पशुपालकों के लिए वातावरण पोषक व अनुकूल है. लेकिन जिले के पशुपालकों को संकरित गाय, भैस का लाभ भी नहीं मिल रहा है. पशुवैद्यकीय अस्पताल कंपाउंडर और चपरासी के भरोसे शुरू है. इसी में पिछले 10 वर्षो से  जिले में अनेक अधिकारियों के पद रिक्त है.

    योजना के लाभ से वंचित

    किसानों को खेती पुरक व्यवसाय के रूप में पशु पालन व्यवसाय की ओर रूख करें. बेरोजगार युवकों को रोजगार का अवसर व दूध उत्पादन के लिए गाय व भैंस अनुदान पर दिए जाते है. इसमें सुअर, मुर्गी पालन, बकरी पालन आदि के लिए अनुदान देने का प्रावधान है. पशुखाद्य, दवाई आदि के लिए भी अनुदान या सीधी मदद देने की योजना है. जिले के किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है.

    अनेकों  पद रिक्त

    जिले में पशुधन विकास अधिकारियों के 49 में से 26 अधिकारियों के पद, सहायक पशुधन विकास अधिकारी के 2 पद, पशु पर्यवेक्षक 9, पट्टीबंधक 8 व  चपरासी के 2 पद रिक्त हैं.