Sunil Kedar
सुनील केदार

Loading

नागपुर. महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक सुनील केदार (Sunil Kedar) को नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (एनडीसीसीबी) में 150 करोड़ रूपये के घोटाला मामले में मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच से जमानत मिली है। न्यायाधीश उर्मिला जोशी-फाल्के ने ये फैसला सुनाया है।

गौरतलब है कि 22 दिसंबर को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जेवी पेखले पुरकर ने 2002 के इस मामले में सुनील केदार को विभिन्न अपराधों के तहत दोषी करार दिया और पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही 12.50 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया था। इसके बाद केदार ने सजा को निलंबित करने तथा आदेश पर रोक लगाने के लिए जिला व सत्र न्यायालय के समक्ष आवेदन किया था जिस पर सुनवाई के बाद दोनों प्रार्थनाएं खारिज हो गईं। जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वह पिछले 28 दिसंबर की रात से जेल में हैं।

सुनील केदार समेत छह लोग दोषी

नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक घोटाला सामने आने के बाद, 11 आरोपियों में से 9 पर धारा 406 (विश्वासघात), 409 (सरकारी कर्मचारियों द्वारा विश्वासघात आदि), 468 (जालसाजी), 471 (जालसाजी), 120-बी (साजिश) और धारा के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके साथ ही धारा 34 (समान प्रयोजन) आरोप तय किया गया। इस मामले में कांग्रेस नेता-सांसद सुनील केदार, बैंक के तत्कालीन महाप्रबंधक अशोक नामदेव चौधरी, बांड ब्रोकर केतन कांतिलाल सेठ, सुबोध चंद्रदयाल भंडारी, नंदकिशोर शंकरलाल त्रिवेदी (सभी मुंबई), अमित सीतापति वर्मा (अहमदाबाद) के शामिल होने का खुलासा हुआ था। इस मामले में 9 आरोपियों में से 3 को निर्दोष बताया गया था।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल 2002 में सुनील केदार नागपुर जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के चेयरमैन थे। उस समय बैंक का धन एक निजी कंपनी की मदद से कलकत्ता में कंपनी के शेयरों में निवेश किया गया था। लेकिन सहकारिता विभाग के एक्ट के मुताबिक बैंक से छूट लिए बिना बैंक का पैसा कहीं और निवेश बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता। लेकिन इसके बाद भी इस नियम का उल्लंघन कर राशि का निवेश किया गया। इसके बाद निजी कंपनी दिवालिया हो गई। इससे कई किसानों का बैंक में रखा पैसा भी डूब गया।

इस घोटाले के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सुनील केदार केदार पर अपने स्वार्थ के लिए घोटाला करने का आरोप लगा। केस दर्ज होने के बाद मामला जिला सत्र न्यायालय में चलता है। लेकिन जब मामला फैसले के अंतिम चरण में था, केदार ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच का दरवाजा खटखटाया था। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट से इस बाबत रोक हटाने का अनुरोध भी किया था। कोर्ट ने राज्य सरकार की मांग को स्वीकार कर लिया और रोक हटा दी। इसके बाद अब 22 दिसंबर को इस मामले में कोर्ट का फैसला आया।