Chhatrapati Shivaji Maharaj Wagh Nakh will soon come to India, Afzal Khan was put to death

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लंदन/मुंबई: ब्रिटेन स्थित विक्टोरिया एंड अल्बर्ट (वी एंड ए) संग्रहालय अगले सप्ताह महाराष्ट्र सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के बाद ही 17वीं सदी के ‘वाघ नख’ को एक प्रदर्शनी के लिए भारत ले जाने के लिए सौंपेगा। यह ‘वाघ नख’ छत्रपति शिवाजी महाराज का था। वर्ष 1659 में युद्ध के दौरान महान मराठा नेता ने अपने हाथ में छुपाए हुए वाघ नख से अपने प्रतिद्वंद्वी एवं बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मार गिराया था। यह वाघ नख ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अधिकारी जेम्स ग्रांट डफ के कब्जे में आ गया, जिन्हें वर्ष 1818 में सतारा राज्य का राजनीतिक एजेंट नियुक्त किया गया था। इस वाघ नख को डफ के एक वंशज ने संग्रहालय को उपहार में दिया था। 

संग्रहालय के प्रवक्ता ने कहा कि ‘विक्टोरिया एंड अल्बर्ट एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के वरिष्ठ नेतृत्व का स्वागत करने के लिए बेहद उत्सुक है। अफजल पर छत्रपति शिवाजी महाराज की विजय की कहानी पौराणिक है, इसलिए हमें खुशी है कि 350वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम के हिस्से के रूप में ‘वाघ नख’ भारत जाएगा। लेकिन इसके लिए पहले यह जरूरी है कि एमओयू पर हस्ताक्षर हो। हमें उम्मीद है कि इसका प्रदर्शन इतिहास में नये शोध के लिए भी उपयोगी हो सकता है। एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद ही वाघ नख वर्षांत तक एक सीमित अवधि के लिए ही भारत भेजा जाएगा।

आदित्य के सवाल बचकाने : फडणवीस

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने ‘वाघ नख’ की प्रामाणिकता पर शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे के सवालों को ‘बचकाना’ करार देते हुए उसे प्रतिक्रिया देने अयोग्य बताया। फडणवीस ने कहा कि (अविभाजित) ‘शिवसेना’ का इस तरह के ‘अपमानजनक’ सवाल पूछने का इतिहास रहा है। संजय राउत ने एक बार महान योद्धा राजा की वंशावली पर सवाल उठाया था।

असली ‘वाघ नख’ है शिवसेना : राउत

शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने दावा किया कि शिवसेना ही छत्रपति शिवाजी महाराज का असली हथियार ‘वाघ नख’ (बाघ के पंजे के आकार का हथियार) है और आरोप लगाया कि भाजपा ने शिवसेना को ‘विभाजित’ कर कमजोर करने की कोशिश की।