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मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की छोपेमारी के बीच बीएमसी के विभिन्न कामों में हुए घोटालों की जांच के लिए गठित की गई विशेष जांच समिति (एसआईटी) भी एक्शन में आ गई है। जल्द ही दस्तावेजों की छानबीन के साथ उससे संबंधित लोगों से पूछताछ का दौर शुरू कर दिया जाएगा। ईडी की छापेमारी के बाद अब एसआईटी की जांच की आंच में कई फंस न जाएं, इसे लेकर अधिकारियों में हड़कंप मच गई है। 

मुंबई मनपा के नौ विभागों के में अनियमितिता हुई 

नाम न छापने की शर्त पर कल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि एसआईटी ने अपना काम शुरू कर दिया है। आगामी सोमवार से जांच-पड़ताल की रफ्तार तेज होगी। आरोप है कि मुंबई मनपा के नौ विभागों के 76 कामों में  12 हजार 24 करोड़ रुपए  की अनियमितिता हुई है। इन सभी कामों की टेंडर प्रक्रिया, कार्यादेश, अभिलेख, ठेके, खरीद प्रक्रिया, काम की गुणवत्ता से जुड़े दस्तावेज खंगाले जाएंगे। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई मनपा में हुई अनियमितताओं के जांच के लिए विशेष जांच समिति (एसआईटी) गठित करने की स्वीकृति बीते सोमवार को प्रदान की थी। मुंबई पुलिस आयुक्त की अध्यक्षता में यह समिति गठित की गई है, जिसमें आर्थिक अपराध शाखा के सहपुलिस आयुक्त और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों भी शामिल हैं। इस समिति को 28 नवंबर 2019 से 31 अक्टूबर 2022  की कालावधि में जारी किए गए विभिन्न कार्यों में हुई 12 हजार 24 करोड़ रुपए की अनियमितता की जांच का जिम्मा सौंपा गया है। इन कामों को लेकर  महालेखापाल (कैग) की ऑडिट रिपोर्ट में  आपत्तियां जताई गई थी। इसके अलावा कोविड महामारी के दौरान हुए खर्च पर भी सवाल उठाए गए हैं। भाजपा नेताओं का आरोप है कि बिना टेंडर सत्यापन के काम दिया गया है, टेंडर के नियमों और शर्तों के उल्लंघन और टेंडर में हेरफेर के मामले सामने आए हैं। कुछ मामलों में अपात्र ठेकेदारों को भी निविदाएं प्रदान की गई हैं।

शवों के लिए बैग की खरीदी में अनियमितता 

 मनपा ने बिना टेंडर मंगाए दो हिस्सों में 214 करोड़ रुपए के 20 काम दिए, 4,755 करोड़ रुपए के 64 काम बिना कॉन्ट्रैक्ट साइन किए ठेकेदारों को दिए गए। ठेकेदारों को दिए गए 3,355 करोड़ रुपए के तीन अलग-अलग विभागों के 13 कार्यों को सत्यापित करने के लिए थर्ड पार्टी ऑडिट की कोई व्यवस्था नहीं थी। वर्ली में डॉ. ई मोसेस रोड और केशवराव खाडे मार्ग, परेल टीटी फ्लाईओवर, मीठी नदी और मातोश्री के पास बांद्रा में कई काम बिना फ्लोटिंग टेंडर व बिना दिशा-निर्देशों के दिए जाने के आरोप हैं। इस बीच ईडी की जांच- पड़ताल संज्ञान में आया है कि कोविड महामारी के दौरान बीएमसी द्वारा संचालित कोविड अस्पतालों में दवाईयां, साहित्य, शवों के लिए बैग की खरीदी में अनियमितता बरती गई है। एक बॉडी किट 6800 रुपए की दर सी खरीदी गई जबकि बाजार में उसकी कीमत दो हजार रुपए थी। लाइफलाइन जंबो कोविड सेंटर में डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की वास्तविक तैनाती बीएमसी की गई बिलिंग में दिखाई गई तैनाती से 60-65 प्रतिशत कम थी। बिलिंग के लिए कंपनी ने उन डॉक्टरों के नाम प्रदान किए, जो लाइफलाइन जंबो कोविड सेंटर के संबंधित केंद्रों में काम नहीं कर रहे थे। कोविड-19 के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रेमडेसिविर सहित अन्य दवाएं भी बाजार कीमतों से 25-30 प्रतिशत अधिक दरों पर खरीदी गईं। जांच की आंच अधिकारियों से लेकर पूर्व महापौर किशोरी पेडणेकर सहित ठाकरे गुट के अन्य नेताओं तक पहुंच सकती है। कोविड सेंटर पर लगे आरोपों की जांच ईडी कर रही है।