- शरद पवार बनेंगे गेम चेंजर
- चुनाव से पहले होगा बड़ा धमाका
मुंबई: पांच राज्यों में चुनाव के बाद जल्द ही महाराष्ट्र (Maharashtra) में भी चुनाव (Election) की दस्तक होने वाली है। विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव दोनों ही 2024 में हो सकते हैं और उसी को लेकर अब तमाम राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। महाराष्ट्र की सियासत में इस समय बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। दो बड़ी पार्टी चार गुटों में बंट गई है। शिवसेना और एनसीपी दोनों के दो फाड़ हो चुके हैं और उसी की वजह से बीते दिनों महाराष्ट्र में न सिर्फ सत्ता पलट बल्कि बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला। ऐसे में ये अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि महाराष्ट्र की राजनीति का आने वाला वक्त कठिन और दिलचस्प हो सकता है। शरद पवार (Sharad Pawar) और अजित पवार के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। वहीं उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच भी असली परीक्षा आने वाले चुनाव में ही नजर आएगी। वहीं शरद पवार के बीजेपी (BJP) से हाथ मिलाने (Support) की चर्चा को एक बार फिर हवा मिल गई है।
शरद पवार बीजेपी से मिलाएंगे हाथ
शरद पवार के बीजेपी से हाथ मिलाने की चर्चा को एक बार फिर हवा मिल गई है। दरअसल महाराष्ट्र के निर्दलीय विधायक रवि राणा ने दावा किया था कि शरद पवार बीजेपी से हाथ मिलाकर महाराष्ट्र के राजनीति में एक बार फिर बाद उलटफेर दिखा सकते हैं। हालांकि उसके बाद शरद पवार ने उनके दावे का खंडन किया था। लेकिन अब बीजेपी के एक विधायक की तरफ से फिर इस तरह का दवा सामने आया है। प्रवीण दरेकर (Pravin Darekar) ने शरद पवार को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा की शरद पवार जल्द ही महाराष्ट्र के विकास में हमारा समर्थन करेंगे और इस के बाद अब एक बार फिर शरद पवार के बीजेपी से हाथ मिलाने की चर्चा का बाजार गर्म हो गया है। प्रवीण दरेकर का यह बयान अजित पवार के दिल्ली दौरे के बाद आया है।
चाचा भतीजे के बीच खिचड़ी
प्रवीण दरेकर का यह बयान अजित पवार के दिल्ली दौरे के बाद आया है, दरअसल अजित पवार जब दिल्ली गए थे उससे पहले उन्होंने शरद पवार से मुलाकात की थी। प्रताप राव पवार के घर पर अजित और शरद की हुई मुलाकात से राजनीतिक चर्चा तेज हो गयी थी कि चाचा और भतीजे के बीच कुछ खिचड़ी पक रही है। जिसका नतीजा हमें आगामी चुनाव से पहले या उसके बाद देखने को मिल सकता है। अगर इन दोनों ने अपनी राय एक कर ली तो यह अंदाजा लगाना कठिन नहीं है कि महाराष्ट्र की सत्ता में पवार परिवार का सीधा दखल देखने को मिलेगा। हालांकि शरद पवार ने इसे व्यक्तिगत मुलाकात बताकर अटकलें के बाजार को वहीं बंद कर दिया था।
शरद पवार और उद्धव ठाकरे की ही चलेगी राजनीति
महाराष्ट्र में हुए निकाय चुनाव के परिणाम में अजित पवार की पार्टी के पंचायत को बड़ी संख्या में जीत मिली। ऐसे में अजित पवार के हौसले आगामी चुनाव को लेकर बुलंद है। भले ही चुनाव के नतीजे में बीजेपी बड़ी पार्टी बनकर सामने आई। लेकिन अजित पवार का भी कद महाराष्ट्र में काफी बढ़ा है। वहीं शिवसेना यूबीटी के प्रवक्ता संजय रावत की तरफ से भी एक बयान सामने आया है और उन्होंने महाराष्ट्र की आगामी राजनीति में शरद पवार और उद्धव ठाकरे के अहम रोल होने की भविष्यवाणी की है। संजय रावत ने दावा किया है कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे का सिक्का महाराष्ट्र की राजनीति में बोलेगा। हालांकि उनका यह दावा कितना सही साबित होता है यह चुनाव के नतीजे के बाद ही पता चलेगा।
अजित पवार की बढ़ेगी मुश्किल
शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनीति का चाणक्य माना जाता है और अगर ऐसे में वह बीजेपी के साथ हाथ मिलाते हैं तो अजित पवार की मुश्किल और बढ़ सकती है। अब ऐसे में देखना यह होगा कि प्रवीण दरेकर ने शरद पवार को लेकर जो दावा किया है उसे पर शरद पवार की तरफ से क्या प्रतिक्रिया सामने आती है।
नेताओं की नाराजगी से पार्टी का नुकसान
महाराष्ट्र की राजनीति में सिर्फ दो बड़ी पार्टियों के ही फाड़ नहीं हुए हैं बल्कि कुछ पार्टी के नेता अपनी ही पार्टी से नाराज भी चल रहे हैं। जिसमें भाजपा के दिवंगत वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे का भी नाम है। जिनके बारे में चर्चा यह है कि बीजेपी में उन्हें दरकिनार कर दिया गया है। जिसकी नाराजगी वह साफ तौर पर कई बार जताते हुए भी नजर आई है। अब देखना यह होगा कि चुनाव से पहले उनकी नाराज की बीजेपी दूर कर पाती है या नहीं, राजनीतिक गलियारों में चर्चा यह भी है कि वह जल्दी किसी और पार्टी का दामन थाम सकती है। आने वाले चुनाव में वह किसी और पार्टी की प्रत्याशी के तौर पर सामने भी आ सकती हैं। खबर यह है कि पंकजा शिवसेना यूबीटी का दामन थाम सकती हैं।
छगन भुजबल ने बढ़ाया अजित पावर का सिरदर्द
अजित पवार गुट के विधायक और ओबीसी नेता छगन भुजबल ने मौजूदा सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी कर दी है। दरअसल मराठा आरक्षण को लेकर चल रहे विवाद पर छगन भुजबल ने यह कहा है कि मराठा आरक्षण का ताना-बाना ओबीसी आरक्षण को खत्म करने के लिए बना गया है और अगर ऐसा हुआ तो वह इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।
ऐसे में यह साफ तौर पर मौजूदा सरकार के खिलाफ बगावत के तौर पर देखा जा रहा है। छगन भुजबल की बगावत अजित पवार के लिए सिरदर्द बनी हुई है। इसके अलावा कांग्रेस में भी कुछ बड़े नेता अपनी ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र का आगामी चुनाव न सिर्फ बड़े उलटफेर से भरपूर होगा बल्कि यह जनता के लिए भी दिलचस्प होने वाला है।