गणपत पाटिल नगर में धड़ल्ले से काटे जा रहे मैंग्रोव, प्राकृतिक आपदा को खुला निमंत्रण, कौन है जिम्मेदार

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  • पर्यावरण को खुलेआम पहुंचाई जा रही क्षति
  • भविष्य में होने वाली प्राकृतिक आपदा का जिम्मेदार कौन?
रितेश तिवारी@नवभारत 
दहिसर: मुंबई के उपनगरीय इलाके दहिसर (Dahisar) में लिंक रोड पर समुद्री तट के किनारे बसे गणपत पाटिल नगर (Ganpat Patil Nagar) में भू माफियाओं द्वारा धड़ल्ले से मैंग्रोव (land mafia) की कटाई (Cutting) कर नए-नए झोपड़े (Illegal chawl) बनाए जा रहे हैं। जिससे बड़े पैमाने पर पर्यावरण की क्षति हो रही है। मैंग्रोव की कटाई भविष्य में किसी बड़े संकट को दावत देने जैसी है। यह एक गंभीर चिंता का विषय है। ऐसा करने वालों को कहीं ना कहीं राजनीतिक मदद भी मिल रही है। 
 
गणपत पाटिल नगर इलाके में अभी भी भूमाफिया (land mafia) द्वारा मैंग्रोव को काटकर खुले भूखंड पर नई-नई झोपड़ी बनाकर लाखों रुपयों में बेचा जा रहा है। जिसका शिकार गरीब जनता हो रही है।हालांकि इस तरह का कारोबार मनपा या वन विभाग के जानकारी में ना हो यह सम्भव नहीं है। गौरतलब है कि बीते 31 अक्टूबर को इसी गणपत पाटिल नगर के गली नंबर 11 में वन विभाग कि जमीन पर मैंग्रोव को काटकर बनाए गए 130 झोपड़ों को ध्वस्त कर दिया था। जिसके बाद 130 परिवार सड़क पर आ गए थे। अगर वन विभाग और मनपा मैंग्रोव की कटाई और अवैध झोपड़ों के निर्माण को ही रोक दें तो उन्हें बनने के बाद तोड़ने की नौबत ही नहीं आएगी। 
 
 
लेकिन वन विभाग और मनपा उस वक्त ऐक्शन नहीं लेते इसी वजह से भू माफियाओं के हौसले बुलंद है, जो कि गणपत पाटिल नगर की गली नम्बर 4 में गोराई की खाड़ी से लगकर उगे हुए मैंग्रोव को काटकर भरनी कर धड़ल्ले से नए झोपड़े खड़े कर रहे हैं। जिसे मनपा प्रशासन व वन विभाग के अधिकारी अनदेखा कर रहे हैं। सवाल यह उठता है यदि भविष्य में गणपत पाटिल नगर में मैंग्रोव की कटाई के कारण प्राकृतिक आपदा आती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? 
 
अधिवक्ता विमलेश झा और हिन्दी भाषी सेवा संघ के अध्यक्ष कहते हैं, गणपत पाटिल नगर पहले सुविधा विहीन है, ऐसे में मैंग्रोव्स की कटाई कर नए झोपड़े बनाने वाले भू माफिया कोई बाहर के नहीं है बल्कि नेताओं के पाले हुए दलाल है। जो अन्य कई पार्टी के भ्रष्ट नेताओं, वन विभाग, मनपा के भ्रष्ट अधिकारियों को उनका हिस्सा देने के बाद ही मैंग्रोव की कटाई कर झोपड़े बना रहे हैं। यदि प्रशासन में कोई ईमानदार अधिकारी है तो इसकी जांच करें, जब ये घर बनाकर बेचेंगे तो जरूरतमंद तो इसे खरीदेगा ही और बाद में भुगतेगा।