Nylon Manja
प्रतीकात्मक तस्वीर

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    नागपुर. नायलॉन मांजा के कारण हो रहीं घटनाओं को लेकर छपी खबरों पर स्वयं संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने इसे जनहित याचिका का रूप में स्वीकृत किया. याचिका पर समय-समय पर आदेश भी जारी होते रहे हैं किंतु अब 2 दिन पहले नायलॉन मांजा से 10 वर्षीय बच्चे की हुई दर्दनाक मृत्यु को लेकर छपी खबर पर फिर हाई कोर्ट का ध्यानाकर्षित किया गया. इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए अदालत ने नायलॉन मांजा को लेकर क्या किया जा रहा है?

    इस संदर्भ में राज्य सरकार और मनपा को जवाब दायर करने के आदेश दिए हैं. सुनवाई के दौरान अदालत मित्र की ओर से नायलॉन मांजा पर प्रतिबंध लगाने के लिए कुछ सुझाव भी दिए गए जिसमें बताया गया कि इस मांजा की बिक्री करने वाले या उपयोग करने वालों को कुछ समय देकर स्वयं नष्ट करने की अपील की जानी चाहिए.

    दिल्ली की तर्ज पर जारी हो नोटिफिकेशन

    अदालत मित्र ने कहा कि दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग ने 10 जनवरी 2017 को नायलॉन मांजा पर प्रतिबंध के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है. राज्य सरकार भी इसी तर्ज पर नोटिफिकेशन जारी करे, साथ ही इसमें किए गए प्रावधान को कड़ाई से लागू किया जाए. इस तरह के आदेश सरकार को देने का अनुरोध अदालत से किया गया.

    अदालत मित्र ने कहा कि नायलॉन मांजा की ऑनलाइन बिक्री पर पाबंदी लगाने के लिए आदेश जारी हुए हैं. किंतु इसके बाद भी यह मांजा ऑनलाइन खरीदा-बेचा जा रहा है. यहां तक कि फेसबुक और इंडिया मार्ट की ओर से कोई जवाब तक दायर नहीं किया गया है. सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि आदेश जारी करने से पूर्व पर्यावरण विभाग का पक्ष जानना जरूरी है. चूंकि इस मामले में पर्यावरण विभाग प्रतिवादी नहीं है. अत: उसे प्रतिवादी बनाने के आदेश दिए. 

    पीड़ित के पालकों की क्या मदद हो सकती है

    सुनवाई के बाद अदालत ने पीड़ित बच्चे के पालकों की क्या मदद की जा सकती है, इस संदर्भ में मनपा को जवाब दायर करने के आदेश दिए. विशेषत: नायलॉन मांजा को लेकर हाई कोर्ट में वर्ष 2015 में ही फौजदारी रिट याचिका दायर की गई थी जिस पर राज्य सरकार ने पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 की धारा 5 के अनुसार इस मांजा पर पूरी तरह से पाबंदी लगाने का नीतिगत निर्णय लिए जाने की जानकारी दी थी. सरकार द्वारा जारी इस आदेश की जानकारी भी प्रस्तुत करने के आदेश सरकारी वकील को दिए गए.