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  • व्यापारी करेंगे तीव्र आंदोलन, सरकार करे पुनः विचार

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नागपुर. देश में आजादी के बाद पहली बार नॉन ब्रांडेड दाल, अनाज और अनेक जीवनाश्यक वस्तुओं पर 5 प्रश जीएसटी लगाया गया है. सरकार के इस निर्णय ने सभी को असमंजस में डाल दिया है. व्यापारियों के अनुसार सरकार ने दाल और अनाज पर जीएसटी लगाकर और अधिक महंगाई भड़काने का काम किया है. सरकार को अपने निर्णय पर पुन: विचार करते हुए इन्हें जीएसटी मुक्त किया जाना चाहिए. 

अन्यायकारक निर्णय से बर्बाद होगा व्यापार

दि होलसेल ग्रेन एड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन के सचिव प्रताप ए. मोटवानी व व्यापारियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित मंत्री निर्मला सीतारमण से इस निर्णय को रद्द करने की मांग की गई है. सरकार के इस अन्यायकारक निर्णय से व्यापार तो बर्बाद होने के साथ आम जनता का भोजन महंगा होगा और किसानों की भी परेशानी बढ़ेगी. आजादी के बाद महाराष्ट्र में जीवनाशयक वस्तुओं पर कोई टैक्स नहीं लगा है. वैट को भी खाद्यानों से मुक्त रखा गया. कुछ वर्ष पूर्व सरकार ने सिर्फ ब्रांडेड अनाजों पर 5 प्रश जीएसटी लगाया था जिसका भी सख्त विरोध किया गया. परंतु अब एकाएक सरकार ने नॉन ब्रांडेड पर भी टैक्स लगाने का प्रस्ताव पारित कर सभी को स्तब्ध कर दिया है.

मोटवानी ने कहा कि  तुअर दाल पर 5 प्रश जीएसटी लगता है तो यह किलो पर 5 रुपए और एक क्विंटल पर 500 रुपए महंगी होगी. इसका असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा. एक होलसेल व्यापारी सिर्फ एक क्विंटल पर 25 से 30 रुपए मुनाफा लेकर उधारी में व्यापार करता है. इसी तरह सभी दालें अनाज प्रति किलो 4 से 7 रुपए महंगे हो जायेंगे. सरकार अगर एक क्विंटल पर 500-700 प्रति क्विंटल पर जीएसटी लेगी तो भीषण महंगाई बढ़ जाएगी. सरकार ने अपना निर्णय वापस नहीं लिया तो व्यापारी आंदोलन का रुख अपनाएंगे. व्यापारी किसी भी हालत में जीवनाश्यक वस्तुओं पर जीएसटी मान्य नहीं करेंगे.