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    नागपुर. रिश्वतखोरी के मामले में फरार इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के जनरल मैनेजर एनपी रोडगे ने आखिर सीबीआई की विशेष अदालत में सरेंडर कर दिया. न्यायालय ने उसे 31 मार्च तक सीबीआई कस्टडी में भेज दिया है. गोंदिया के पेट्रोल पंप संचालक आकाश चौधरी की शिकायत पर सीबीआई ने रोडगे और चीफ मैनेजर मनीष नांदले के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र और रिश्वतखोरी का मामला दर्ज किया था. बीते शुक्रवार को सीबीआई टीम ने नांदले को चौधरी से 1 लाख रुपये लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया था, जबकि मुख्य आरोपी रोडगे फरार हो गया था. लगातार सीबीआई की टीम उसकी तलाश में जुटी थी.

    सीबीआई को शिकंजा कसते देख उसने अपने वकील के जरिए सीधे न्यायालय में समर्पण किया. न्यायालय ने सीबीआई से जवाब तलब किया और रोडगे को जेल भेजने की तैयारी चल ही रही थी कि सीबीआई अधिकारी न्यायालय पहुंच गए.

    सीबीआई ने अदालत को बताया कि रोडगे ही इस मामले में मुख्य आरोपी है. उसी के कहने पर नांदले ने चौधरी से 1 लाख रुपये लिए थे. नांदले पहले से कस्टडी में है. इसीलिए रोडगे को भी कस्टडी में लेकर पूछताछ करना जरूरी है. दोनों के वॉइस सैंपल लिए जाने हैं और प्रकरण से संबंधित दस्तावेज जब्त करने हैं. न्यायालय ने सीबीआई को 31 मार्च तक कस्टडी मंजूर कर दी.

    अलग-अलग बैंकों में 3 लॉकर

    सीबीआई को जानकारी मिली है कि रोडगे के अलग-अलग बैंकों में 3 लॉकर हैं. इन लॉकर्स में जेवरात, रुपये और संपत्ति से जुड़े दस्तावेज मिल सकते हैं. अब कस्टडी मिलने के बाद सीबीआई तीनों  लॉकर्स की जांच करने वाली है. सीबीआई एसपी सलीम खान ने चर्चा में बताया कि प्रकरण में और भी लोगों की भूमिका होने की संभावना है. जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट होगा.

    वहीं सूत्रों का दावा है कि एक वकील के माध्यम से इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के अधिकारी पेट्रोल पंप संचालकों से लेन-देन का काम करते थे. एक अन्य प्रकरण में सेल्स ऑफिसर सुनील गोलार भी 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया था. पेट्रोल पंप मालिकों से समय पर माल की आपूर्ति करने के लिए भी रिश्वत मांगी जाती थी. 1 साथ 2 व्यवसायी द्वारा इंडियन ऑयल के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत देने से साफ अनुमान लगाया जा सकता है कि हर स्तर पर भ्रष्टाचार चल रहा था. किसी न किसी कारण से व्यवसायियों को परेशान कर वसूली की जाती है.