नागपुर. नागपुर शहर का अस्तित्व नागों से जुड़ा होने के कारण इसे नागलोक के नाम से भी जाना जाता है. घट रहे वन क्षेत्र और बढ़ रहीं मनुष्य बस्तियों के कारण बिलों से बाहर आए सांप मकानों में घुस जाते हैं. ऐसे में कई बार नागरिक सर्पदंश का शिकार हो जाते हैं. गत वर्ष 2023 में सर्पदंश के 79 और जनवरी की शुरुआत में 1 सर्पदंश ऐसे कुल 80 नागरिकों को वाइल्डलाइफ वेलफेयर सोसाइटी द्वारा अस्पताल पहुंचाया गया. समय रहते उचित उपचार मिलने के कारण 77 नागरिकों की जान बच गई.
3 सर्पदंश के मामलों में देरी होने के कारण लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. मृतकों में 5 वर्षीय बच्ची से लेकर 63 वर्षीय वृद्ध शामिल है. अधिकतर सर्पदंश के मामले ग्रामीण भाग से सामने आए हैं. सर्पमित्रों द्वारा सर्पदंश का शिकार हुए लोगों को मेयो एवं मेडिकल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया. इन आंकड़ों के अलावा अन्य कई सर्पदंश के मामले दर्ज किए गए हैं जिनसे पीड़ितों का उपचार निजी अस्पताल में किया गया. सिटी में सांप मिलने के मामलों की तुलना में ग्रामीण एवं जंगल के आसपास रहने वालों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है. ऐसे इलाकों के घरों में सांप घुसने के अधिक संभावना रहती है.
डॉक्टरों समेत सर्पमित्रों का योगदान
ग्रामीण इलाके में सर्पदंश के मामले अधिक हैं. इक्का-दुक्का मामलों में लोग ‘बोआ बाजी’ के चक्कर में फंसकर जान गंवा बैठते हैं. कुछ ग्रामीण निवासी सर्पदंश को गंभीरता से नहीं लेते. ऐसे में जान जाने का खतरा बढ़ जाता है. सर्पमित्रों द्वारा मेयो एवं मेडिकल अस्पताल पहुंचाए जाने वाले नागरिकों को वाइपर, नाग, मण्यार और फुरसे प्रजाति के जहरीले सांपों द्वारा सर्पदंश हुआ था. सर्पदंश का शिकार हुए कई गंभीर मामलों में सर्पमित्रों एवं डॉक्टरों के सहयोग से पीड़ितों की जान बच पाई. लगभग 1 वर्ष में वाइल्ड लाइफ वेलफेयर सोसाइटी के नीतीश भांदक्कर, गौरांग वाईकर, राकेश भोयर, साहिल शरनागत, सौरभ असवार, प्रवीण तुले आदि ने कुल 80 पीड़ितों को मेयो और मेडिकल अस्पताल पहुंचाया. डॉक्टरों द्वारा तुरंत उपचार को प्राथमिकता देकर नागरिकों की जान बचाई गई. सर्पदंश को गंभीरता से न लेने एवं समय पर उचित सहायता प्राप्त नहीं होने के कारण 3 लोगों की मौत हो गई.
सर्पदंश के मामले
सांप | मामले |
वाइपर | 42 |
नाग | 29 |
मण्यार | 8 |
फुरसे | 1 |
आयु वर्ग
आयु | मामले |
18 से कम | 11 |
18 से 60 | 59 |
60 से अधिक | 10 |