Nagpur High Court
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  • अधिग्रहण करना जरूरी, जिलाधिकारी का हाई कोर्ट में हलफनामा

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नागपुर. कामठी में आरक्षित जमीन पर कत्लखाना निर्मित करने की मांग को लेकर आल इंडिया जमायतुल्ला कुरैशी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. याचिका पर राज्य सरकार द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद हाई कोर्ट ने 3 मार्च 2016 को ही याचिका का निपटारा कर दिया था. अदालत को आश्वासन देकर 6 वर्ष बीत जाने के बावजूद अब तक निर्माण की प्रक्रिया ही शुरू नहीं किए जाने का हवाला देते हुए अब हाई कोर्ट में अवमानना की याचिका दायर की गई.

इस पर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के अनुसार जिलाधिकारी ने हलफनामा दायर किया जिसमें बताया गया कि कत्लखाना के लिए जिस जमीन का आरक्षण दिखाया जा रहा था, वह निजी जमीन है. अत: अब कत्लखाना के लिए जमीन का अधिग्रहण करना होगा. सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्या. उर्मिला जोशी ने भविष्य की कार्यवाही के लिए 11 अगस्त तक लिए सुनवाई स्थगित कर दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. हुसैन तथा नगर परिषद की ओर से अधि. महेश धात्रक ने पैरवी की.

दूसरी जमीन पर रक्षा विभाग की आपत्ति

जिलाधिकारी द्वारा दिए गए हलफनामा में बताया गया कि वैकल्पिक जमीन पर नगर परिषद के अधिकार और कॅन्टोन्मेंट के अधिकारियों के अलावा सभी संबंधित अधिकारियों ने मिलकर अवलोकन किया है. लेकिन मिलिट्री कॅन्टोन्मेंट की इस जमीन को लेकर आपत्ति है. यहां तक कि उनके मुंबई स्थित कार्यालय से पत्राचार करना होगा. अत: इसके पूर्व जिस जमीन को आरक्षित रखा गया था. पावनगांव स्थित इस जमीन को अधिग्रहित कर यहीं पर कत्लखाना बनाना उचित होगा. गत सुनवाई के दौरान इंटरविनर की ओर से पैरवी कर रहे अधि. एसी धर्माधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कत्लखाना का निर्माण किया जाना था. उसी दिशा में उद्देश्य की पूर्ति के लिए राज्य सरकार की ओर से कार्य किया जाना चाहिए था. यदि किसी तरह की परेशानी आ रही हो तो राज्य सरकार को हलफनामा के रूप में अदालत के समक्ष इसे उजागर करना चाहिए. 

डेवलपमेंट प्लान में जगह आरक्षित

राज्य सरकार ने बताया था कि नागपुर मेट्रोपोलिटन एरिया के लिए निर्मित किए गए डेवलपमेंट प्लान में कत्लखाना के लिए जमीन आरक्षित की गई है. कामठी स्थित सर्वे नंबर 29 में 56 क्रमांक को आरक्षित किया गया. यदि इस जमीन पर संभव नहीं हुआ तो इस प्रकल्प के लिए वैकल्पिक जमीन उपलब्ध कराने का आश्वासन भी सरकार की ओर से दिया गया. सरकार के आश्वासन के बाद याचिका का उद्देश्य ही पूरा होने का हवाला देते हुए अदालत ने इस याचिका का निपटारा कर दिया था. किंतु आश्वासन के अनुसार इसका पालन नहीं होने के कारण यह याचिका दायर किए जाने की जानकारी याचिकाकर्ता एसोसिएशन की ओर से दी गई. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.