16 पुलिस कर्मचारियों ने की पुलिस विभाग के साथ धोखाधड़ी

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    नाशिक : तबादलों के माध्यम से जिला बदलकर नाशिक में कर्तव्य की प्रतीक्षा में होने वाले कर्मचारियों (Employees) ने पुलिस प्रशासन (Police Administration) के साथ धोखाधड़ी (Fraud) करने की बात सामने आई है। सरकारी लाभ दिलाने के लिए फाइल बनाने वाला रैकेट कार्यरत होने की बात भी सामने आई है। रिश्तेदारों के गंभीर बीमारी के साथ शल्यक्रिया के फर्जी प्रमाणपत्र पेश किए, जिसमें नाशिक और धुलिया जिला सरकारी अस्पताल के वैद्यकीय अधिकारी, कर्मचारी और निजी अस्पताल के डॉक्टर शामिल है। इस मामले में अधीक्षक कार्यालय के लिपिक, वैद्यकीय अधिकारी और 16 आवेदनकर्ताओं के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।  नाशिक ग्रामीण पुलिस दल में अंतर जिला तबादले के लिए इच्छुक होने वाले पुलिस कर्मियों ने विभिन्न जिले से आवेदन किए। 18 मई 2022 से पहले संबंधितों ने अपने आवेदन जमा किए, जिसकी जांच अधीक्षक कार्यालय के वरिष्ठ लिपिक हिरा रवींद्र कनोज ने सही तरह से न करते हुए संबंधितों को लाभ देने के लिए मदद की। इस मामले में आस्थापना के उपाधीक्षक खगेंद्र टेंभेकर ने नाशिक तहसील पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी को लेकर शिकायत दर्ज कराई।  इस मामले में पुलिस ने प्रकरण दर्ज करते हुए लिपिक सहित एक संदिग्ध आरोपी को गिरफ्तार किया। नाशिक जिला सरकारी अस्पताल के संशयित लिफ्टमन कांतिलाल गांगुर्डे को तीन दिनों तक हिरासत में भेजा गया है। इस मामले से पुलिस दल सहित वैद्यकीय क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। तबादलों का फर्जी ‘ऑपरेशन’ राज्य में भी कार्यरत होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। 

    जिला सरकारी अस्पताल तक पहुंचा फर्जी तबादला मामला

    पुलिस अधीक्षक सचिन पाटिल के पास संबंधितों की फाइल पहुंचने के बाद वैद्यकीय रिपोर्ट फर्जी होने का संदेह आते ही जिला सरकारी अस्पताल को एक बार फिर इन फाइलों की जांच करने की सूचना की गई। इसके बाद कुछ अस्पताल के माध्यम से फर्जी प्रमाण पत्र देन की बात स्पष्ट हुई। साथ ही पुलिस कर्मचारियों ने जिला सरकारी अस्पताल के कुछ अधिकारी-कर्मचारियों की मदद से यह कांड करने की बात स्पष्ट हो गई है। इसके बाद पुलिस अधीक्षक सचिन पाटिल ने संबंधितों के खिलाफ मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। 

    तबादलों के पिछे होने वाला ‘व्यवहार’ आएगा सामने

    पुलिस ने जिला बाह्य तबादलों के लिए हेराफेरी शुरू की। इसमें से एक-दो कर्मियों ने जिला सरकारी अस्पताल में फर्जी प्रमाणपत्र देने वालों की मदद ली।  इनके माध्यम से निजी अस्पताल के माध्यम से गंभीर बीमारी की रिपोर्ट तैयार की। इस पर सरकारी वैद्यकीय अधिकारियों ने भी हस्ताक्षर किए। दरमियान लगभग सभी पर पैसों की बारिश हुई। इस मामले की विस्तृत जांच के बाद व्यवहार का बड़ा रैकेट सामने आने की संभावना व्यक्त की जा रही जा रही है। 

    फर्जी तबादले कांड के विशेष मुद्दे

    मुरबाड पुलिस ने किया तबादलों के लिए आवेदन। बंद अस्पताल की रिपोर्ट, एक-दो बड़े के बावजूद की गई शल्यक्रिया। पंचवटी, सातपुर, राणे नगर निजी अस्पताल के साथ नाशिक-धुलिया जिला सरकारी अस्पताल का कनेक्शन। कोरोना काल में शल्यक्रिया बंद होने के बाद भी दिए गए रिपोर्ट। बड़े बीमारियों की टेस्ट पर संदेह। 

    फर्जी वैद्यकीय रिपोर्ट बनाने वालों का रैकेट

    अवकाश, तबादले जैसे लाभ सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को दिलाने के लिए फर्जी वैद्यकीय रिपोर्ट की फाइल बनाने वालों का रैकेट शहर में कार्यरत होने की बात अब स्पष्ट हो गई है। बीमार न होने के बाद भी संबंधितों को बीमारी होने की वैद्यकीय रिपोर्ट देने वाले दूकान ही वैद्यकीय क्षेत्र में शुरू हो गए है, जिसमें सरकारी अस्पताल में कार्यरत कर्मचारी एजेंट्स के रूप में काम कर रहे है, जो अपने आप में एक बड़ी बात है। 

    सरकारी निर्णय के अनुसार अंतर जिला तबादलों के लिए होने वाली शर्त में से एक एक शल्यक्रिया की शर्त है। इसके तहत कुछ आवेदकर्ताओंन ने फर्जी रिपोर्ट पेश किया। यइ बात सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन की ओर से जांच की गई। इसके बाद पेश की गई रिपोर्ट फर्जी होने की बात सामने आई। तत्पश्चात संबंधितों को नोटिस जारी की। जवाब तलब होने के बाद कार्रवाई की जा रही है।

    सचिन पाटिल, पुलिस अधीक्षक, नाशिक