Bribery
रिश्वतखोरी

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    नाशिक : आदिवासी विकास विभाग के लोक निर्माण विभाग (Public Works Department) के कार्यपालक अभियंता (Executive Engineer) को अपने ही आवास पर 28 लाख, 80 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (Anti-Corruption Department) ने यह कार्रवाई की है। आदिवासी विकास विभाग हमेशा से ही भ्रष्टाचार (Corruption) के प्रकरणों के लिए चर्चा में रहा है। भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के अपर अधीक्षक नारायण न्याहलदे की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार गिरफ्तार किए गए इंजीनियर का नाम दिनेश कुमार बागुल (50) है। आर. के. इंफ्रा कॉन्स्ट्रो प्राइवेट लिमिटेड में काम करने वाली 39 वर्षीय शिकायतकर्ता ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। फर्म को हरसुल में लड़कों और लड़कियों के लिए एक छात्रावास में सेंट्रल किचन का काम दिया गया था। इस उद्देश्य के लिए जारी निविदा को मंजूरी भी दी गई थी। संबंधित फर्म को 2 करोड़, 40 लाख रुपए का ठेका दिया गया। 

    शिकायत की जांच के बाद कार्रवाई के लिए टीम गठित की गई। पुलिस की टीम ने बागुल को संबंधित व्यक्ति से 28 लाख 80 हजार की राशि लेते हुए हिरासत में ले लिया। भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के अधीक्षक सुनील कडासने, अपर अधीक्षक नारायण न्याहलदे, उपाधीक्षक सतीश भामरे के मार्गदर्शन में निरीक्षक अनिल बागुल, पुलिस कर्मी किरण अहिरराव, अजय गरुड़, नितिन कराड, संतोष गांगुर्डे ने यह कार्रवाई की। 

    भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की ओर से दो ऑपरेशन किए गए

    नाशिक में घूसखोरी का दौर जारी है। दो दिन में तीन लोग रिश्वत लेते पकड़े गए हैं। उप निदेशक स्वास्थ्य कार्यालय के प्रशासनिक अधिकारी गजानन लांजेवार को एक सेवानिवृत्त अधिकारी से 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया, इसके बाद गुरुवार को भ्रष्टाचार निरोधक विभाग की ओर से दो ऑपरेशन किए गए। आदिवासी विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता बागुल को एक लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया, इसके अलावा, दिंडोरी तहसील के एक मंडल अधिकारी कमरुद्दीन गुलाम अहमद सैयद को कृषि भूमि के 17 वें भूखंड पर एक महिला का नाम शामिल करने के लिए 10,000 की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। इसी बीच कुछ वर्ष पूर्व लोक निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता सतीश चिखलीकर नाशिक में घूसखोरी और गबन मामले में सुर्खियों में थे, इसके बाद यह सबसे बड़ा मामला है। 

    भर्ती में 584 पदों पर करीब 300 करोड़ का भ्रष्टाचार

    आदिवासी विकास विभाग फिर चर्चा में- कुछ महीने पहले जिले के आदिवासी विकास विभाग की भर्ती प्रक्रिया में घोटाले का खुलासा हुआ था। यह बताया गया कि भर्ती प्रक्रिया जुलाई 2014 और अप्रैल 2016 के बीच आयोजित की गई थी। बताया जा रहा है कि इस भर्ती में 584 पदों पर करीब 300 करोड़ का भ्रष्टाचार हुआ है।