Godavari river

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    नासिक: स्मार्ट सिटी (Smart City ) के अंतर्गत गोदावरी नदी (Godavari River) के सुशोभीकरण कार्य को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस बीच और एक मामला सामने आया है। स्मार्ट सिटी द्वारा सुशोभीकरण का कार्य करते हुए टेंडर (Tender) में दर्ज किए गए कार्य में बदलाव करते हुए नासिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation) की आंख में धूल झोंकने की घटना सामने आई है। गोदाघाट पर निर्माण किए जा रहे दीपस्तंभ बेसॉल्ट के बजाय सीमेंट से बनाए जाने से जनता के पैसों की लूट होने का आरोप गोदावरी संवर्धन के देवांग जानी ने लगाया है। 

    स्मार्ट सिटी के माध्यम से गोदाघाट के सुशोभीकरण का कार्य करते समय प्राचीन सीढ़ियों को तोड़ा गया। इस पर नाशिकवासियों ने घोर आपत्ति दर्ज कराई। आरोप लगाया कि नाशिक का इतिहास समाप्त करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। 

    प्राचीन मंदिरों में दरार पड़ रही 

    अन्य निर्माण करते समय परिसर के प्राचीन मंदिरों में दरार पड़ रही है। अब रामकुंड परिसर में दीपस्तंभ बनाया जा रहा है। यह दीपस्तंभ पूर्णतः बेसॉल्ट पत्थर से बनाना अनिवार्य होता है, लेकिन ठेकेदार ने इस कार्य में धांधली की। इसलिए ठेकेदार पर कठोर कार्रवाई करने की मांग नासिकवासी कर रहे हैं।

    गोदाघाट परिसर में बनाया जा रहा दीपस्तंभ बेसॉल्ट पत्थर में बनाने की बात टेंडर में दर्ज की गई है। साथ ही यह कार्य किसी अभियंता के मार्गदर्शन में निर्माण करने की बात कही गई हैं। जबकि, प्रत्यक्ष में यह कार्य सीमेंट-कांक्रीट से किया जा रहा है। दीपस्तंभ को आकार देने के लिए डाई का उपयोग किया गया है। कुल 34 दीपस्तंभ हैं, एक भी टेंडर के अनुसार नहीं हैं।

    -देवांग जानी, गोदावरी संवर्धन समिति