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    नासिक : आगामी महानगरपालिका (Municipal Corporation) और जिला परिषद चुनाव (District Council Elections) में शिवसेना (बालासाहेब ठाकरे) अर्थात शिंदे गुट (Shinde Faction) को सत्ता हासिल करने के लिए प्रभावी नेताओं की फौज नासिक में न मिलने से पदाधिकारी (Office Bearers) हताश (Desperate) दिखाई दे रहे है। अन्य राजनीतिक पार्टी के बजाए शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के पदाधिकारी और पूर्व नगरसेवक अपनी ओर करने का प्रयास कर रहे है। परंतु, इसमें सफलता न मिलने से दबाव बढ़ रहा है। 

    बता दे कि एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 40 विधायकों को अपने साथ लेकर बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बने। बीजेपी को मुख्यमंत्री पद मिले। शिंदे गुट ने शिवसेना पार्टी पर अपना दावा पेश कर न्यायालय में याचिका दाखिल की। दरमियान न्यायालय ने शिवसेना के दो गुट बनाए, जिसमें बालासाहब ठाकरे (शिवसेना) और उद्धव ठाकरे (शिवसेना) शामिल है। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 40 विधायक बाहर निकलने के बाद शिवसेना का बड़ा गुट उनके साथ जाने की बात की जा रही थी। परंतु, ऐसा नहीं हुआ। यही स्थिति नासिक में भी है। नासिक जिले में मालेगांव, नांदगाव, सिन्नर, नासिक तहसील के साथ महानगरपालिका क्षेत्र में शिंदे गुट को अपनी ताकत बढ़ानी है। विशेष रूप से महानगरपालिका क्षेत्र में अधिक प्रयास किए जा रहे है। परंतु, अपेक्षित सफलता न मिलने से सभी पदाधिकारी हताश दिखाई दे रहे है। 

    शिंदे गुट को चाहिए पूर्व नगरसेवकों की ताकद

    शिंदे गुट आगामी महानगरपालिका चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पूर्व नगरसेवकों को अपने साथ लेने का प्रयास कर रहा है, लेकिन अभी तक उन्हें सफलता नहीं मिल पाई है। 

    राजनीतिक निर्णय से समस्या

    शिंदे-फडणवीस सरकार को साढ़े चार महीने हो गए है। दरमियान मतदाताओं पर विपरित परिणाम होने वाले कुछ निर्णय लिए गए, जिसमें वेदांता और फॉक्सकॉन प्रकल्प अपने राज्य से अन्य राज्य में चले गए। शिंदे गुट के मंत्रियों द्वारा की जा रही विवादात्मक वक्तव्य सहित राज्यपाल की ओर से छत्रपति शिवाजी महाराज का अवमान से शिंदे गुट का विस्तार रूक गया है।