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    पिंपरी: पिंपरी-चिंचवड़ (Pimpri-Chinchwad) का तेजी से शहरीकरण न्यायपालिका पर भारी दबाव डाल रहा है। पिंपरी-मोरवाड़ी अदालत (Court) में 51,558 मामलों के खिलाफ 2,926 दीवानी दावे और 48,632 आपराधिक मामले लंबित (Cases Pending ) हैं। इससे शहर के नागरिकों को काफी असुविधा हो रही है और उन्हें न्याय पाने के लिए पुणे (Pune) के जिला न्यायालय (District Court) का सहारा लेना पड़ रहा है। 

    पिंपरी-चिंचवड एडवोकेट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने महापौर उषा ढोरे के साथ मिलकर चर्चा की।  इसके बाद महापौर ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए उक्त जानकारी दी। 

    न्यायपालिका पर भारी दबाव  

    पिंपरी मोरवाड़ी अदालत प्रतिदिन चार से पांच दीवानी मामलों और 15 से 16 आपराधिक मामलों की सुनवाई करता है।  इससे न्यायपालिका पर भारी दबाव पड़ रहा है। दावों के निपटान की सीमा के आधार पर भविष्य में लंबित दावों की संख्या बढ़ने की संभावना है। जिला न्यायालय के पास शहर में वकीलों और नागरिकों के लिए पर्याप्त वाहन पार्किंग तक नहीं है। चूंकि शहर में कोई फैमिली कोर्ट नहीं है, इसलिए महिलाओं को मदद के लिए पुणे जाना पड़ता है।  यह अनावश्यक रूप से सहन करना पड़ता है। अदालत की इमारत न्यायिक कार्रवाई के लिए अपर्याप्त मोरवाड़ी में अदालत की इमारत न्यायिक कार्रवाई के लिए अपर्याप्त है। न्यायपालिका से निपटने में कई कठिनाइयां हैं। 

    राज्य सरकार ने 16 एकड़ भूमि स्वीकृत की

    राज्य सरकार ने शहर में न्यायिक परिसर स्थापित करने के लिए पिंपरी-चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण की लगभग 16 एकड़ भूमि स्वीकृत की है। महापौर ढोरे ने बताया कि हाल ही में हुई आम सभा की बैठक में भवन निर्माण के लिए 16 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने की स्वीकृति दी गयी। साइट को राज्य के कानून विभाग को सौंप दिया गया है और साइट को आंशिक रूप से खाली भी कर दिया गया है। प्रस्तावित परिसर में 82 कोर्ट हॉल बनाने की योजना है। इसमें डिस्ट्रिक्ट कोर्ट, सीनियर लेवल सिविल कोर्ट, जूनियर लेवल सिविल कोर्ट, मोटर व्हीकल कोर्ट, फैमिली कोर्ट, को-ऑपरेटिव कोर्ट, लेबर कोर्ट, जजों के लिए आवास आदि शामिल होंगे। इस बैठक में सभागृह नेता नामदेव ढाके, स्थायी समिति सभापति एड.  नितीन लांडगे, एसोसिएशन के अध्यक्ष एड. सचिन थोपटे, अतिश लांडगे, संजय दातिर-पाटील, दिनकर बारणे, गौरव वालुंज, निखील बोडके आदि उपस्थित थे।