जीएसटी के खिलाफ बंद का उद्योगनगरी में मिलाजुला असर

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    पिंपरी : अनाज और खाद्यान्न (गैर-ब्रांडेड) पर प्रस्तावित पांच प्रतिशत वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के विरोध में किये गए बंद को पिंपरी-चिंचवड (Pimpri-Chinchwad) शहर में मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। शहर के थोक विक्रेताओं (Wholesalers) ने अपनी दुकानें बंद रखीं। अनाज (Cereals) और खाद्य (Foodstuffs) पदार्थ पर जीएसटी (GST) लगाने के विरोध में व्यापारियों ने यह आंदोलन किया है।

    कोरोना महामारी के बाद ईंधन, गैस, सीएनजी के दाम आसमान छू रहे हैं। जब उद्योग धंधे और व्यापार संकट से बाहर आ रहा है। तब मंहगाई आसमान छू रही है। केंद्र सरकार पहले ही ब्रांडेड खाद्यान्नों पर जीएसटी लगा चुकी है, अब नॉन ब्रांडेड अनाज और खाद्यान्न पर जीएसटी प्रस्तावित की गई है। जबकि आम नागरिक महंगाई की आग से जूझ रहे हैं। नतीजतन, मुद्रास्फीति में जबरदस्त वृद्धि हुई। 

    दुकानें बंद रखकर बंद में लिया हिस्सा

    इसके विरोध में फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ पिंपरी-चिंचवड ने आज पिंपरी-चिंचवड शहर में बंद का आह्वान किया था, जिसे शहर में मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। फेडरेशन ने आरोप लगाया गया कि खुले अनाज पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव किसानों, आम उपभोक्ताओं पर कर लगाने के समान है। आज शहर बंद के दिन पिंपरी, चिंचवड, आकुर्दी, निगडी, सांगवी के थोक विक्रेताओं ने अपनी दुकानें बंद रखकर बंद में हिस्सा लिया।

    पैक्ड फूड पर जीएसटी लगा दिया गया

    फेडरेशन के अध्यक्ष गोविंद पानसरे ने कहा, केंद्र सरकार ने खाद्यान्न पर पांच फीसदी जीएसटी का प्रस्ताव रखा है। इसका व्यापारियों ने विरोध किया है। इसके लिए बुलाए गए बंद को पिंपरी-चिंचवड में 80 प्रतिशत प्रतिक्रिया मिली है। शहर में थोक दुकानें बंद हैं। केंद्र सरकार को अनाज पर प्रस्तावित जीएसटी को रद्द कर देना चाहिए। केंद्र सरकार ने जीएसटी पेश करते हुए कहा था कि वह खाद्यान्न पर जीएसटी नहीं लगाएगी। मगर, पैक्ड फूड पर जीएसटी लगा दिया गया। अब खुले अनाज पर जीएसटी लगाया जा रहा है। 

    केंद्र सरकार के प्रस्तावित जीएसटी फैसले का विरोध किया है

    उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना की वजह से महंगाई बढ़ी है। इस तरह खाद्यान्न पर जीएसटी बढ़ने से महंगाई और बढ़ेगी। पिंपरी में किराना और ड्राईफुट एसोसिएशन के सचिव सुशील बजाज ने कहा, ”खाद्य पदार्थों पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए। जरूरी चीजों पर जीएसटी लगाना गलत है। लोगों के कोरोना महामारी से बाहर आने पर खाद्यान्न पर पांच प्रतिशत जीएसटी का प्रस्ताव किया गया है। खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी को कोई स्वीकार नहीं करता है। हमने अपनी दुकान बंद कर दी है और केंद्र सरकार के प्रस्तावित जीएसटी फैसले का विरोध किया है। सरकार को जीएसटी लागू करने के फैसले को उलट देना चाहिए।