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पिंपरी: सूचना अधिकार कानून से प्राप्त जानकारी से खुलासा हुआ है कि पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) से करोड़ों रुपए की रिकॉर्ड फाइलें गायब हो गई हैं। अब महानगरपालिका के पास 3,915 करोड़ 82 लाख 94 हजार 654 रुपए के व्यय का ‘रिकार्ड’ (Record) उपलब्ध नहीं है। सूचना अधिकार (Right to Information) कार्यकर्ता प्राधिकरण की नागरिक सुरक्षा कार्रवाई समिति के अध्यक्ष विजय पाटिल ने इसमें करोड़ों रुपए का घोटाला (Scam) होने की संभावना जताकर मामले की जांच एसीबी (ACB) से कराने की मांग की है।

महानगरपालिका के लेखा विभाग के ऑडिट में 11 हजार से अधिक आपत्ति दर्ज है। ढ़ाई हजार करोड़ से अधिक राशि के दस्तावेज जांच के लिए उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। इस गंभीर मामले पर लेखा विभाग और महानगरपालिका कमिश्नर ने संबंधित विभाग के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की है या इससे संबंधित कोई मामला दर्ज किया है, तो उसकी विस्तृत जानकारी के साथ-साथ विभागों पर लगाए गए जुर्माने से संबंधित जानकारी पाटिल ने सूचना अधिकार के तहत मांगी थी। पिछले कितने वर्षों का राज्य ऑडिट पेंडिंग है। ऑडिट अवधि 2000 से 2022 तक की जानकारी मांगी गई थी। इसके अनुसार, सामान्य प्रशासन विभाग के पास उपलब्ध दस्तावेजों में लंबित ऑडिट आपत्तियों की लिखित जानकारी दी गई हैं।  

मनमर्जी से ठेकेदारों को दिए जाते हैं काम

पाटिल ने कहा कि सभी विभागों द्वारा बजट के प्रावधानों के अनुरूप विकास कार्य कराये जाते हैं। स्थायी समिति में प्रस्ताव पारित कर करोड़ों रुपए के टेंडर जारी किए जाते हैं और यही से बड़ी अनियमितता शुरू होती है। टेंडर जारी करते समय कई नियमों का उल्लंघन किया जाता है। करोड़ों के काम मनमर्जी से ठेकेदारों या कंपनियों को दिए जाते हैं। उन्होंने महानगरपालिका प्रशासन को लिखित रूप से सूचित किया है कि स्थानीय ऑडिट कमेटी ने बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता पाई है। 1982 से 2017 तक महानगरपालिका का ऑडिट पूरा हो चुका है और 2015 तक की विस्तृत रिपोर्ट विभाग द्वारा महानगरपालिका कमिश्नर को दी जा चुकी है। महानगरपालिका में कुल 135 विभाग हैं और अब तक केवल 33 विभागों ने ही कार्यों का विवरण, रजिस्टर, बिल, विस्तृत प्रस्ताव, निविदाएं लेखा विभाग को सौंपे हैं। 102 विभागों ने अभी तक व्यय विवरण की ऑडिट प्रस्तुत नहीं की है।

102 विभागों ने दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए

33 विभागों के कई दस्तावेजों और अभिलेखों की जांच नहीं होने के कारण बड़ी राशि आपत्ति में रखी गयी है। चूंकि 102 विभागों ने ऑडिट के लिए कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए है, ऐसे में 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक राशि बकाया रहने की संभावना है। जांच कार्य में 33 विभागों के भी पूरे अभिलेख दस्तावेज उपलब्ध नहीं होने के कारण वर्तमान में उक्त विकास कार्य में खर्च की गई राशि 4 हजार करोड़ तक पहुंच गई है। इसमें बड़ी मात्रा में अनियमितता और भ्रष्टाचार के कारण शहर को भारी नुकसान हुआ है।

की जा रही ऑडिट की समीक्षा 

लेखा विभाग के 33 अनुभागों की जांच में अब तक लंबित आपत्तियों की संख्या 42 हजार 281 है। पुरानी लंबित आपत्ति राशि 38 करोड़ 57 लाख 46 हजार 226 रुपए है। कुल लंबित आपत्ति राशि 387 करोड़ 22 लाख 12 हजार 114 रुपए है। सीधे वसूली योग्य राशि 107 करोड़ 93 लाख 4 हजार रुपए है। पाटिल ने कहा कि लंबित राशि जिसका रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, लगभग 4 हजार करोड़ रुपए है। महानगरपालिका कमिश्नर शेखर सिंह को इन पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। 42 हजार 281 आपत्तियों का तत्काल निस्तारण किया जाएं। हर आपत्ति का सत्यापन किया जाएं और दोषी अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए। इस मामले की गहन जांच के लिए पुलिस विभाग के एसीबी की मदद ली जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि तत्कालीन स्थायी समिति के सदस्यों और दोषी जनप्रतिनिधियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। इस बारे में अतिरिक्त आयुक्त प्रदीप जांभले ने कहा कि ऑडिट की समीक्षा की जा रही है। लंबित मुद्दों, आपत्तियों, शिकायतों के संबंध में अगले सप्ताह मुख्य लेखा परीक्षक के साथ बैठक करेंगे।