Dr. Rajendra Singh

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    पुणे: जब तक सरकार और समाज एक साथ नहीं आता, तब तक कोई भी सरकार आए नदियों का पुनर्जीवन सफल नहीं हो सकता है। समाज सरकार से सौ गुना काम कर सकती है, लेकिन पैसों (Money) के चक्कर में हम पर्यावरण (Environment) को नुकसान पहुंचा रहे है। इसकी वजह से भविष्य में हमारा स्वास्थ्य कैसा होगा, इसे हम भूल रहे है। इस तरह का दुख जलपुरुष और रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (Ramon Magsaysay Award) विजेता डॉ. राजेंद्र सिंह (Dr. Rajendra Singh) ने जताया है।

    वनराई और जल बिरादरी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किए गए नदी की पाठशाला स्टडी कार्यक्रम का उद्घाटन सोमवार 28 मार्च को हुआ। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में डॉ। सिंह बोल रहे थे। 

    सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के कुलगुरु प्रा. डॉ. नितिन करमलकर कार्यक्रम के अध्यक्ष थे। यशदा के महासंचालक एस चोक्कलिंगम, संचालक मल्लिनाथ कलशेट्टी, कृषि कॉलेज के सहयोगी डीन डॉ। सुनील मासालकर, र्फर्ग्यूसन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रविंद्र सिंह परदेशी, वनराई के अध्यक्ष रवींद्र धारिया, सचिव अमित वाडेकर और सुमंत पांडे उपस्थित थे।