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संजय शिरसाट (फाइल फोटो)

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छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ दल शिवसेना ने सोमवार को आरोप लगाया कि जालना जिले में मराठा आरक्षण आंदोलन के केंद्र अंतरवली सारती गांव में सितंबर में हुई हिंसा के पीछे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शरद पवार की अगुवाई वाले धड़े एवं शिवसेना (यूबीटी) के नेता थे। मराठा आरक्षण आंदोलन के कार्यकर्ता मनोज जरांगे को अस्पताल में भर्ती कराने के खिलाफ विरोध के बीच पुलिस ने एक सितंबर को जालना जिले में अंबाद तहसील के धुले-सोलापुर मार्ग पर हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले दागे थे। 

शिवसेना में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले गुट के प्रवक्ता संजय शिरसाट ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, ‘‘अंतरवली सारती गांव में सितंबर में जो हिंसा हुई थी, उसके पीछे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार गुट और उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना के नेता थे।”

उन्होंने आरोप लगाया कि हिंसा फैलाने की ‘सुपारी’ दी गयी थी तथा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये एक व्यक्ति के पास रिवाल्वर मिला था। विधायक शिरसाट ने आरोप लगाया, ‘‘शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने पहले बयान दिया था कि महाराष्ट्र में हिंसा हो सकती है। जब अंतरवली सारती गांव में घटना घटी थी तब राकांपा (शरद पवार गुट) के एक नेता जालना अतिथि गृह में मौजूद थे।” उन्होंने कहा कि चूंकि जांच चल रही है, ऐसे में वह उन नेता का नाम नहीं बतायेंगे जो अतिथि गृह में मौजूद थे।

उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन जिन लोगों ने हिंसा फैलाने और महाराष्ट्र सराकर को बदनाम करने की कोशिश की थी, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा तथा उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।” शिरसाट ने कहा कि जब मराठा आरक्षण आंदोलन शांतिपूर्वक चल रहा था तब अंतरवली सारती की घटना घटी थी। उन्होंने कहा, ‘‘ गौर करने वाली बात यह है कि इस घटना के तत्काल बाद शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरद पवार गुट) के बड़े नेता गांव गये थे।”

अंतरवली सारती गांव में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के लाठीचार्ज के बाद मराठा आरक्षण आंदोलन फैल गया था तथा जरांगे महाराष्ट्र में इस आंदोलन के चेहरा के रूप में उभरे थे। जरांगे ने मराठा समुदाय के सदस्यों को कुंबी जाति प्रमाणपत्र देने की मांग करते हुए दो मौकों पर आमरन आनशन किया है।

सरकार ने मराठों को कुंबी प्रमाणपत्र आवंटित करने की प्रक्रिया शीघ्र पूरा करने तथा कुंबी के उल्लेख से संबंधित पुराने रिकार्ड को खंगालने के लिए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) संदीप शिंदे की अध्यक्षता में एक समिति बनायी है। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत मराठा समुदाय को नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण देने की मांग का वरिष्ठ राकांपा (अजीत पवार धड़ा) नेता और राज्य के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल एवं ओबीसी के अन्य लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है। (एजेंसी)