Aadhar link required to avail schemes - Online registration facility available
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    बदलापुर. इक्कीसवीं सदी के दो दशक बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित कोंकण के कातकरी (आदिवासी) बस्तियों के घरों के सातबारा पर पंजीकरण करने की प्रक्रिया आखिरकार शुरू हो गई है। 2015 में तत्कालीन राज्यपाल विद्यासागर राव ने कातकरी समाज के उत्थान की पहल की थी। उस समय किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि उक्त निवास स्थान पर कातकरी परिवारों की झोपड़ियों का पंजीकरण नहीं किया गया था।  

    कातकरी समुदाय के पुनर्वास में जगह का सही से ठिकाना नहीं होना बड़ी दिक्कत थी। इसके बाद इसे हटाने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू की गई। तब किए गए सर्वेक्षण के अनुसार कोंकण के 6 जिलों में कुल 2 लाख 69 हजार कातकरी थे। उनमें से ज्यादातर ठाणे, रायगढ़ और पालघर जिलों में है। अब देरी से ही सही उनके घरों का आधिकारिक रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। 

    प्रयास छह साल पहले शुरू हुआ 

    कोंकण में 1728 कातकरी बस्तियां है। जिसमें से 1129 बस्तियां निजी क्षेत्र में है। 455 बस्तियां सरकारी जमीन पर, 78 बस्तियां गांवठाण सीमा में, 44 बस्तियां वन क्षेत्र में और पांच बस्तियां गुरचरण क्षेत्र में है। शिक्षा की कमी, अत्यधिक गरीबी, व्यसन, जमींदारों द्वारा प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रूप से शोषण के कारण कातकरी समाज अभी भी विकास से दूर है। पिछले महीने मुरबाड और भिवंडी तालुका में कातकरी के शोषण के दो मामले सामने आए थे। सरकार ने आदिवासियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की, लेकिन वे कातकरी तक नहीं पहुंचीं। कातकरी समाज को उनके अधिकार प्राप्त करने के लिए, उनके घरों को पहले आधिकारिक रूप से पंजीकृत किया जाना चाहिए। इसके लिए एनजीओ पिछले कुछ सालों से मामले को आगे बढ़ा रहे है। इसके लिए प्रयास छह साल पहले शुरू हुआ था।

    अब कातकरी बस्तियों में घरों की सातबारा पर पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। वर्तमान में सातबारा उतारे पर शाहपुर तालुका के 26 गांवों में 1207 कातकरी घरों को सातबारा पर पंजीकृत किया गया है। इसी तरह मुरबाड तालुका में भी कुछ घरों का पंजीकरण किया गया है। कोंकण के अन्य हिस्सों में कातकरी बस्तियों में मकानों के पंजीकरण के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। 

    जिलेवार जनसंख्या

    जिला जनसंख्या
    ठाणे – 513 गांव 63 हजार 525
    रायगढ़ – 802 गांव 1 लाख 47 हजार 120
    पालघर – 291 गांव  50 हजार 16
    रत्नागिरी – 104 गांव 8 हजार 101
    सिंधुदुर्ग – 16 गांव 847

    स्वामित्व प्राप्त होना चाहिए

    वर्षों से उपेक्षित कातकरी (आदिवासी) समाज की जमीन अब उनके नाम हो रही है, जमीन के सातबारा पर उनके नाम चढ़ाए जा रहे है सरकार को यही तक सीमित नहीं रहना चाहिए सरकार को चाहिए जिन घरों में वह रह रहे है वह भी उनके नाम पर किए जाए। इसी तरह न केवल कातकरी बल्कि सभी भूमिहीन खेतिहर मजदूरों और कारीगरों को उतनी जमीन का मालिकाना हक मिलना चाहिए।

    - इंदवी तुलपुले, श्रमिक मुक्ति संगठन, मुरबाड