वर्धा. राज्य सरकार ने नवरात्रि से धार्मिक स्थलों को खोलने की घोषणा की थी़ परंतु जिला प्रशासन की ओर इस संदर्भ में दोपहर तक गाइडलाइन जारी नहीं करने से भ्रम बना हुआ था़ प्रमुख मंदिर और दरगाह के द्वार दोपहर तक बंद रहे़ आखिरकार दोपहर में प्रशासन ने बैक डेट में इस संबंध में गाइडलाइन जारी कर दी़ ऐन नवरात्रि के पहले के दिन सुबह मातारानी के दर्शन के लिए पहुंचे श्रध्दालुओं को मंदिर बंद मिलने से निराश होकर लौटना पड़ा.
बता दें कि, राज्य के सभी धार्मिक स्थल 7 अक्टूबर से खोले जाएंगे, ऐसी घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी़ इस संबंध में नई गाइडलाइन की राह सभी धार्मिक संस्था के सदस्य व श्रध्दालुओं को थी़ परंतु गुरुवार की दोपहर तक जिला प्रशासन द्वारा इस संदर्भ में किसी प्रकार की गाइडलाइन जारी नहीं की थी़ मुख्यमंत्री की घोषणा के चलते सभी धार्मिकस्थल खोले जाएंगे. इस उम्मीद से जिले के प्रसिध्द श्रध्दास्थलों पर श्रध्दालु सुबह से ही दर्शन के लिए पहुंचे थे़ परंतु उन्हें मंदिरों के प्रवेशद्वार बंद दिखाई दिए़ धार्मिक संस्था के सदस्यों के अनुसार उन्हें प्रशासन से किसी प्रकार की सूचना न मिलने से उन्होंने भी श्रध्दास्थल बंद रखने की बात कही.
लगता है भक्तों का तांता
जिले में गिरड, आजनसरा, टाकरखेडा, केलझर, नारायणपुर, कोटेश्वर, महाकाली, खडकी, साखरा स्थित भवानी मंदिर, पोहना का रुद्रेश्वर सहित वर्धा शहर के अनेक धार्मिक स्थलों पर श्रध्दालुओं का तांता लगा रहता है़ परंतु कोरोना संकट के कारण दर्शन बंद होने से सभी धार्मिक स्थलों पर शांति बनी हुई थी़ लेकिन सरकार की घोषणा के बाद श्रध्दालुओं में खुशी का माहौल दिखाई दिया़ लेकिन स्थानीय प्रशासन द्वारा ऐन समय तक गाइडलाइन जारी न करने से श्रध्दालु व धार्मिक संस्थान के सदस्यों में संभ्रम बना रहा.
बैक डेट में जारी की गाइडलाइन
जिलाधिकारी प्रेरणा देशभ्रतार ने राज्य सरकार की घोषणा के बाद एक दिन पहले धार्मिक स्थलों के संबंध में गाइडलाइन जारी करना जरूरी था़ परंतु ऐसा नहीं हुआ़ गाइडलान नहीं आने के कारण अधिकांश धार्मिक स्थल बंद थे़ इससे श्रध्दालुओं को निराश होकर वापस लौटना पडा़ इसके बाद गुरुवार की दोपहर प्रशासन ने बैक डेट में धार्मिक स्थलों के संदर्भ में गाइडलाइन जारी करने से सर्वत्र असंतोष व्यक्त किया गया.