जिला परिषद की जीरो पेंडेंसी नीति की साइट पर जम गई धुल

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    • वर्ष 2018 के बाद पेंडींग मामलों की जानकारी नही की दर्ज

    यवतमाल. जिले में मिनिमंत्रालय यानी जिलापरिषद के जरीए पंचायतराज चलता है.ग्रामीण ईलाकों में जिलापरिषद से पंचायत समिती और इसके बाद ग्रामपंचायतों के जरीए काम होते है, जबकी जिलापरिषद प्रशासन और सत्ताधारी सीधे तौर पर विभीन्न सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन, सार्वजनिक विकास कामों से लेकर ग्रामीण ईलाकों से जुडी स्वास्थ्य, शिक्षा, जलापूर्ती से लेकर आम नागरिकों के शिकायतों के निवारण के लिए कार्यरत होते है.

    इसमें सभी तरह की शिकायतों के अलावा प्रशासनिक मामलों से जुडे कामों पर जिलापरिषद ने झिरो पेंडेंसी की निती अपनायी हुई है. इसमें सभी मामलों को निबटाने के लिए जिलापरिषद के विभागवार और पंचायत समिती में झिरो पेंडेंसी निती कार्यरत है. इसके जरीए जिलापरिषद के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दर्ज मामलों और शिकायतों पर 1 माह के भीतर कारवाई करना जरुरी है.

    आमतौर पर जिप. का सामान्य प्रशासन इस मामलें में जिम्मेदार है,लेकिन जिप.प्रशासन ने झिरो पेंडेसी के मामलों में कारवाई के संबंध में वर्ष 2018 में कोई अपडेट जारी नही किया है.वर्ष 2016 और 17 के बाद से लेकर अब तक जिलापरिषद के सामान्य प्रशासन द्वारा झिरो पेंडेंसी के तहत कारवाई के लिए रखे गए मामलों में क्या कारवाई की,इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नही है.जिससे जिलापरिषद के सामान्य प्रशासन के कामकाज का अनुमान इसकी साईट पर दर्ज मामलों को देखकर लगाया जा सकता है.

    जिलापरिषद के सामान्य प्रशासन विभाग ने बिते 2018 से लेकर अब तक जिलापरिषद के विभीन्न आस्थापनाओं से जुडे मामलों, शिकायतों और प्रशासनिक स्तर पर कारवाई का कोई लेखाजोखा तक पेश नही किया है.बता दें की वर्ष 2018 में आस्थापना, वित्तविभाग के कैशियर के कामकाज से लेकर भंडारगृहों से जुडे 184 मामलें थे,इसके अलावा आस्थापना के कर्मचारीयों की शिकायतें और मामलें भी थे, जिन्हे झिरो पेंडेंसी के तहत निबटाने थे.

    इसके बाद भले ही इन पेंडींग मामलों में प्रशासनिक कारवाई हुई,इसकी जानकारी 2017-18 में दी गयी,लेकिन इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर सैंकडों मामलें अब भी पेंडींग है,उसपर क्या कारवाई हुई, इसका कोई लेखाजोखा प्रशासनिक और सार्वजनिक तौर पर नही दिया गया है.आश्चर्यजनक बात यह है की.

    इस विभाग के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी से लेकर जिप. के सीईओं भी इसे लेकर उदासिनता अपनाते है. एैसे में सामान्य तौर पर प्रशासन द्वारा विभागों के लंबित मामलों में क्या कारवाई होती है, इसकी ही जानकारी नही दी जाती है तो ग्रामीण ईलाकों के नागरिकों की शिकायतों और समस्याओं पर झिरो पेंडेंसी निती क्या कारगर होंगी एैसी चर्चा शुरु है.

    नही दी जाती है पंचायत समितीयों के मामलों में जांच की जानकारी

    इसके अलावा सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा पंचायत समिती से जुडे मामलों और शिकायतों में भी झिरो पेंडेंसी के तहत कारवाई करने के निर्देश है.लेकिन वर्ष 2017 में हुई कारवाई के बाद विभाग ने इसका कोई ब्योरा पेश नही किया है.

    पंचायत समिती आस्थापनाओं समेत अधिकारीयों, कर्मचारीयों के वेतन, पेंशन, भत्तों से लेकर विभागीय जांच तथा जांच अधिकारीयों ने क्या कारवाई की, कर्मचारीयों के कोर्ट में दर्ज मामलों में झिरो पेंडेंसी के तहत क्या कारवाई हुई, इसकी भी कोई जानकारी नही दी जाती है. इस मामलें में सामान्य प्रशासन के अधिकारी, कर्मचारी पुरी तरह उदासिन बने हुए है.