Tripura Assembly Elections 2023
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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ : 2017 के उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में भाजपा (BJP)द्वारा जीती (Win) गयी सीटों (Seats) में से करीब आधी सीटों पर जीत का अंतर ज्यादा न होने, कृषि कानूनों को लेकर सरकार विरोधी लहर, जातीय गोलबंदी के केन्द्रीयकृत होने और धार्मिक ध्रुवीकरण जैसा माहौल न बन पाने से चिंतित भाजपा ने मिशन-2022 (Mission-2022) के लिए अपने महारथियों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उतार दिया है। 

    जाट, जाटव और मुस्लिम मतों के प्रभाव वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रथम दो चरण में जातीय समीकरण यदि देखा जाय तो मुस्लिम 27 फीसदी, अनुसूचित जाति 25 फीसदी और जाट 17 फीसदी हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में जाट, जाटव और अन्य के सहारे भाजपा ने इस प्रथम चरण के चुनाव की 58 सीटों में से 55 सीटों पर कब्जा कर लिया था। लेकिन इस बार जातीय गणित बदल गया है और परस्थितियां एकदम भाजपा के विपरीत दिखाई दे रही हैं और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के तमाम प्रयासों के बावजूद फिलहाल मामला बनता नहीं दिख रहा है। 

    बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने डाला डेरा

    अमित शाह, सीएम योगी, स्वतंत्रदेव सिंह, केशव मौर्य, राजनाथ सिंह जैसे भाजपा नेताओं ने पश्चिम में डेरा डाल रखा है और डोर-टू-डोर कैम्पेन में लगे हैं। माना यह जा रहा है कि इन दो चरणों के रुझान का असर बाकी के चरणों में दिखेगा और सूबे की कुर्सी का रास्ता भी इसी दो चरणों से ही तय हो जाएगा। हालांकि भाजपा की रणनीति हर चरण के लिए अलग बतायी जा रही है फिर भी किसान आन्दोलन से सबसे ज्यादा प्रभावित इन दो चरणों में भाजपा के सामने 2017 के प्रदर्शन को बरकरार रखने की चुनौती होगी।              

    भाजपा नेताओं को लोगों का विरोध का सामना करना पड़ रहा

    जानकार बताते हैं कि भाजपा की परेशानी का कारण भी साफ़ है मुस्लिम बाहुल्य वाले इस इलाके में मुस्लिम मतदाता एकदम चुप्पी साधे हैं और कई बड़े मुस्लिम चेहरे सपा-रालोद गठबंधन के साथ खड़े हैं ,लेकिन चुनावी मैदान में नहीं हैं। बसपा के इस गढ़ में अनुसूचित जाति का एक बड़ा वर्ग आज भी बसपा के साथ खड़ा है। बड़ी संख्या में जाट वोटों का झुकाव सपा-आरएलडी गठबंधन के पक्ष में दिखायी दे रहा है जिसका बहुत बड़ा कारण तीन कृषि कानूनों से उपजी नाराजगी है और शायद यही वजह है कि यदाकदा यहां से नेताओं को लोगों का विरोध का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में बीजेपी को उन सीटों पर हार का सबसे बड़ा खतरा दिख रहा है जहां पर पिछले विधानसभा चुनाव में उसकी जीत का अंतर 15 से 30  हजार का रहा था।

    पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को

    पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को होना है और पहले चरण में 11 जिले शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, हापुड़, नोएडा, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, और आगरा शामिल हैं। यदि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रथम चरण के इन जिलों की विधानसभाओं के 2017 के परिणामों पर नजर डालें तो स्थिति भी काफी कुछ साफ़ हो जाती है। प्रथम चरण के मतदान वाले जिलों की करीब दो दर्जन विधानसभा सीटों पर भाजपा की जीत का अंतर विपक्ष से करीब 30 हजार से कम रहा था। इनमें 20 हजार मतों के करीब जीत हासिल करने वाली सीटों की संख्या 16 है।

    2017 में  जीत का अंतर काफी कम

    इनमें शामली की दो सीट, मुजफ्फरनगर की छः सीटों में भाजपा की जीत का अंतर बुधना में महज 13 हजार, चरथावल में 23 हजार, पुरकाजी में 11 हजार, मुजफ्फरनगर में 10 हजार, खतौली में 31 हजार और मीरपुर का अंतर करीब 1 हजार का ही रहा और यहाँ से जीता हुआ प्रत्याशी फिलहाल भाजपा छोड़ सपा में शामिल हो चुका है। इसी तरह बागपत जिले की तीन में से दो सीटों पर भाजपा की जीत का अंतर बागपत 31360, बेरुत में 26486 रहा था। मेरठ की 7 सीटों में से 6 पर भाजपा और 1 पर सपा का कब्जा रहा था। सिवालखास में भाजपा ने 11421 वोटों से जीत हासिल किया, सरथाना में भाजपा की जीत का अंतर 21 हजार के करीब रहा था। हस्तिनापुर सीट पर भाजपा उम्मीदवार 36 हजार वोटों से जीता वहीं किठोर सीट पर भाजपा और सपा के बीच 10 हजार वोटों का अंतर रहा था।  हापुड़ की तीन विधानसभाओं में 2 पर भाजपा और 1 ढोलना पर बसपा का कब्जा रहा।

     जेवर विधानसभा में भाजपा की जीत केवल 22 हजार मतों से हुई थी

    हापुड़ में भाजपा करीब 15 हजार मतों से विजयी रही। गढ़मुक्तेश्वर में भाजपा ने बसपा से 35 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल किया था। नोएडा में जेवर विधानसभा में भाजपा की जीत केवल 22 हजार मतों से हुई थी। बुलंदशहर की सिकंदराबाद में भाजपा ने 28 हजार मतों से और बुलंदशहर में 23 हजार मतों से जीत दर्ज किया था। अलीगढ़ की 7 सीटों पर जीती भाजपा की स्थिति अलीगढ़ में खराब रही थी। यहाँ बीजेपी और सपा के बीच का अंतर केवल 15 हजार का रहा था। मथुरा के गोवर्धन में भाजपा ने 33 हजार मतों से जीत हासिल किया था और बलदेव में भाजपा की जीत का करीब 13 हजार ही रहा था। आगरा जिले के खेरागढ़ में भाजपा ने बसपा को 32 हजार मतों से हराया था। फतेहाबाद में भाजपा ने करीब 34 हजार मतों से सपा को हराया था। बाह में भाजपा ने 23 हजार मतों से बसपा को हराया था।