Saryu Canal Project

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    -राजेश मिश्र

    लखनऊ : आजाद भारत की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों (Uttar Pradesh Assembly Elections) से ठीक पहले जनता को समर्पित कर दी जाएगी। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अवध क्षेत्र में बीते चार दशकों से लंबित सरयू नहर परियोजना (Saryu Canal Project) आखिरकार पूरी हो गयी है। अवध के 9 जिलों के 14 लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने वाली इस परियोजना कल शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) उद्घाटन करेंगे। 

    सरयू नहर परियोजना का लोकापर्ण प्रधानमंत्री के हाथों शनिवार को बलरामपुर जिले में होगा, जहां बैराज का निर्माण किया गया है और नहर की शुरुआत हो रही है। इससे पहले यहां घाघरा नदी को सरयू से जोड़ते हुए नहर आ चुकी है जहां ये अब यह आगे बढ़ेगी और बहराइच, श्रावस्ती, गोण्डा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर, महराजगंज और गोरखपुर जैसे 9 जिलों को जोड़ेगी। विधानसभा चुनावों के ठीक पहले इस परियोजना के उद्घाटन से सत्तारुढ़ भाजपा को अवध क्षेत्र में किसानों को रिझाने की उम्मीद है।

    सिंचाई परियोजना की लागत 9802 करोड़ रुपये

    सरयू नहर सिंचाई परियोजना के तहत उत्तर प्रदेश के देवीपाटन मंडल के साथ ही बस्ती मंडल के जिले के 40 लाख किसानों को लाभ मिलेगा। इस परियोजना के लिए पांच नदियों को जोड़ कर उनका पानी नहरों में लाया गया है। आजाद भारत की इस सबसे बड़ी और लंबी नहरों वाली सिंचाई परियोजना की लागत 9802 करोड़ रुपये है।

    9 जिलों में किया गया योजना का विस्तार

    सरयू नहर परियोजना के पूरा होने व उद्घाटन कार्यक्रम की जानकारी देते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि यह योजना वर्ष 1972 में बन गई थी पर इस पर काम की शुरुआत 1978 में हुई। शुरुआत में केवल देवीपाटन मंडल के दो-तीन जिलों में ही इस योजना का विस्तार था पर वर्ष 1982 में इसको विस्तार दिया गया और इसे 9 जिलों  तक फैलाया गया। उन्होंने कहा कि 1978 से 2017 तक 40 वर्षो में इस पूरी योजनाओं पर केवल 52 फीसदी काम हो पाया था। बाकी लगभग 48 फीसदी काम 2017 से 2021 के बीच में हुआ है।

    सरयू नहर परियोजना की लंबाई 6623 किलोमीटर 

    उन्होंने कहा कि 9 जिलों में फैली सरयू नहर परियोजना की लंबाई 6623 किलोमीटर है। इसके तहत पांच नदियों घाघरा को सरयू से, सरयू से राप्ती को, राप्ती से बाढ़गंगा से, बाढ़गंगा को रोहणी नदी से साथ जोड़ते हुए यह पूरी नहर प्रणाली तैयार की गयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परियोजना नदी जोड़ो अभियान का भी बेहतरीन उदाहरण होने के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के 9 जिलों में 14.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेती करने वाले 30 लाख किसानों को लाभ पहुंचाएगी।