Muzaffarnagar student slap case
मुजफ्फरनगर छात्र थप्पड़ मामला (डिजाइन फोटो)

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नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) को उन छात्रों की ‘काउंसलिंग’ की स्थिति से अवगत कराया, जिन्हें उनके स्कूल की शिक्षिका ने गृह कार्य नहीं करने पर एक मुस्लिम लड़के को कथित तौर पर थप्पड़ मारने का निर्देश दिया था।

न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने शिक्षा विभाग के अनुपालन हलफनामे पर गौर किया, जिसमें बताया गया है कि छात्रों के लिए कार्यशालाएं 24 अप्रैल तक आयोजित की जाएंगी। पीठ ने कहा, ‘‘हम राज्य सरकार को कार्यशाला के आयोजन के बारे में अप्रैल तक उपयुक्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।”

अदालत ने कहा 

पीठ ने निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का बच्चों का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 के क्रियान्वयन के सिलसिले में पूर्व के एक आदेश में शीर्ष अदालत द्वारा उठाये मुद्दों और इसके बाद बनाये गये नियमों पर विचार करने को कहा तथा मामले में अगली सुनवाई 15 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकार को इन पहलुओं पर हलफनामा दाखिल करने की छूट होगी। 

ये है मामला 

मुजफ्फरनगर जिला स्थित स्कूल की शिक्षिका पर पीड़ित छात्र को साम्प्रदायिक अपशब्द कहने का भी आरोप है। शीर्ष अदालत ने मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) को पीड़ित छात्र एवं उसके सहपाठियों की काउंसलिंग के तौर-तरीके सुझाने की जिम्मेदारी सौंपी थी।

मुजफ्फरनगर पुलिस ने शिक्षिका के खिलाफ एक मामला दर्ज किया था और स्कूल को राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा नोटिस भी भेजा गया था। एक वीडियो में, यह देखा गया था कि शिक्षिका खुब्बापुर गांव में कक्षा-2 के छात्र को थप्पड़ मारने के लिए उसके सहपाठियों को निर्देश दे रही है, जिसके बाद शिक्षिका के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। 

(एजेंसी)