(Image-ANI)
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    नई दिल्ली: कुछ मामले ऐसे होते है जिसके फैसला करने में कोर्ट सालों लगा देता है। ऐसा ही एक मामला अब सामने आया है। कुछ लोग ऐसे होते है जो गलत सह नहीं पाते फिर चाहे उन्हें गलत के खिलाफ खड़ा होना होता है तो वे हो जाते है। ऐसी ही एक गलत के खिलाफ लड़ाई एक शख्स ने 22 साल यानी 1999 को लड़ी जिसका फैसला कोर्ट ने अब 22 साल बाद सुनाया है। आइए जानते है काहिर क्या है पूरा माजरा… 

    22 की लंबी लड़ाई 

    दरअसल  22 पहले हुआ ये कि एक शख्स से रेलवे ने गलती से 20 रुपये ज्यादा वसूल लिए थे, जिस पर नाराज होकर शख्स ने मुकदमा कर दिया। उम्र का बड़ा हिस्सा इस केस के चक्कर में चप्पलें घिसने के बाद शख्स को आखिरकार फैसला उसके हक में मिला। यहां गौर करने वाली बात तो ये कि ये मामला केवल 20 रुपये से जुड़ा था, जिसके लिए शख्स ने अपनी जिंदगी के 22 साल निकाल दिए, लेकिन हार नहीं मानी और गलत के खिलाफ डटकर खड़े रहे। आपको बता दें कि इस खुद्दार शख्स का नाम तुंगनाथ चतुर्वेदी बताया जा रहा है, जिसके हक़ में अब कोर्ट ने फैसला सुनाया है। 

     

    साल 1999 में ली थी ट्रेन की टिकट

    इस घटना के बारे में मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो साल 1999 में तुंगनाथ चतुर्वेदी ने मथुरा जाने के लिए टिकट लिया था। तब इसके लिए टिकट का किराया 35 रुपये था, क्यों कि तुंगनाथ को दो टिकट लेनी थी उन्होंने 100 रुपये का नोट ही काउंटर पर जमा करवाया। जिसके बाद उन्हें केवल 10 रुपये ही वापिस मिले थे। रेलवे द्वारा गलत चार्ज करने पर उन्होंने 22 साल पहले कोर्ट में मुकदमा दर्ज करवा दिया। इससे भी ज्यादा हैरानी वाली बात तो यह है कि अब साल 2022 में इस पर कोर्ट का फैसला आया है। बता दे कि कोर्ट ने मामले में रेलवे को दोषी माना है। इसके लिए कोर्ट ने आदेश दिया है कि रेलवे शख्स को 280 रुपये और 40 पैसे का मुआवजा देगी।  इस तरह इतने लंबे लड़ाई के बाद यह फैसला शख्स के हक़ में आया है। 

    शख्स को मिलेगी इतनी रक्क्म 

    अब इतनी लंबी लड़ाई लड़ने के बाद कोर्ट का मामले पर फैसला आ जाने के बाद तुंगनाथ चतुर्वेदी बेहद खुश हैं। क्यों कि कोर्ट भी मानती है कि तुंगनाथ चतुर्वेदी ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा इस मामले की सुनवाई में लगा दिया, इसलिए मुआवजे के तौर पर उन्हें 15000 रुपये की रकम भी मिलेगी। इतना ही नहीं बल्कि अगर रेलवे समय पर मुआवजा नहीं भरती है तो अतिरिक्त चार्ज भी वसूले जाएंगे। आपको बता दें तुंगनाथ चतुर्वेदी  पेशे से एक वकील हैं। जिन्होंने मात्र 20 रुपये के लिए अपनी खुद्दारी नहीं गवाई और इतने लंबे समय से यह लड़ाई जारी रखी।