
संयुक्त राष्ट्र. भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया तय करने में ‘राजनीतिक सहूलियत’ को आड़े नहीं आने देने का आह्वान किया। यह बयान एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या को लेकर जारी कूटनीतिक गतिरोध के बीच कनाडा पर परोक्ष प्रहार प्रतीत होता है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान तथा अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप की कवायद चुनिंदा तरीके से नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि वे दिन बीत गये जब कुछ राष्ट्र एजेंडा तय करते थे और उम्मीद करते थे कि दूसरे भी उनकी बातें मान लें।
विदेश मंत्री ने कहा, “हमें टीका भेदभाव जैस अन्याय फिर नहीं होने देना चाहिए। जलवायु कार्रवाई भी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों से मुंह फेरकर जारी नहीं रह सकती है। खाद्य एवं ऊर्जा को जरूरतमंदों के हाथों से निकालकर धनवान लोगों तक पहुंचाने के लिए बाजार की ताकत का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।”
#WATCH | New York | At the UNGA, EAM Dr S Jaishankar says, “We must never again allow an injustice like vaccine apartheid to recur. Climate Action too cannot continue to witness an evasion of historical responsibilities. The power of markets should not be utilised to steer food… pic.twitter.com/kVBHVR0AJH
— ANI (@ANI) September 26, 2023
जयशंकर ने अमेरिका पर कसा तंज
उन्होंने कहा, “न ही हमें ऐसा करना चाहिए कि राजनीतिक सहूलियत आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर प्रतिक्रया तय करे। क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान तथा अंदरूनी मामलों में गैर हस्तक्षेप की कवायद चुनिंदा तरीके से नहीं की जा सकती।”
उनका इशारा परोक्ष रूप से अमेरिका की ओर था जिसने सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कथित रूप से कनाडा को खुफिया सूचना उपलब्ध करायी थी। राजनीतिक सहूलियत संबंधी जयशंकर की टिप्पणी कनाडा के संदर्भ में प्रतीत होती है जिसके प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हाल में अपने देश में एक खालिस्तानी चरमपंथी नेता की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता का आरोप लगाया था।
जस्टिन ट्रुडो का बयान ‘बकवास’ और ‘राजनीति से प्रेरित’
भारत ने उनके बयान को ‘बकवास’ एवं ‘राजनीति से प्रेरित’ करार दिया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदर बागची ने पिछले सप्ताह कहा था, “उन्होंने (कनाडाइयों ने) आरोप लगाये हैं। हमारे लिए ऐसा जान पड़ता है कि कनाडा सरकार के ये आरोप प्राथमिक तौर पर राजनीति से प्रेरित हैं।”
बता दें कि कनाडा में 770,000 सिख जनसंख्या है जो देश की कुल जनसंख्या का दो प्रतिशत है। वहां सिख एक अहम वोटबैंक समझे जाते हैं।
जयशंकर ने चंद्रयान की सफलता को लेकर कहा, “भारत ‘अमृत काल’ में प्रवेश कर चुका है। जब हमारा चंद्रयान-3 चंद्रमा पर उतरा तो दुनिया ने भविष्य की झलक देखी। आज, दुनिया के लिए हमारा संदेश सुविधाओं और सेवाओं के व्यापक दायरे और तेजी से बढ़ते बुनियादी ढांचे और हमारी ऊर्जावान स्टार्ट-अप संरचना में डिजिटल रूप से सक्षम शासन और वितरण में है।”
#WATCH | EAM Dr S Jaishankar on Chandrayaan-3 mission at the United Nations General Assembly in New York
“India has entered the ‘Amrit Kaal’…The world saw a glimpse of what is to come when our Chandrayaan-3 landed on the Moon. Today, our message to the world is in digitally… pic.twitter.com/nvh3nBA3ih
— ANI (@ANI) September 26, 2023
एजेंडा तय करते कुछ देश
जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा, “हमारी चर्चाओं में, हम अक्सर नियम आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने की वकालत करते हैं। समय-समय पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रति सम्मान की भी बात भी उठायी जाती है। लेकिन इन सभी चर्चाओं के लिए, अब भी कुछ देश हैं जो एजेंडा तय करते हैं और नियमों को परिभाषित करते हैं। यह अनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता। ऐसा भी नहीं है कि इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है।”
जयशंकर ने कहा, “एक बार हम सभी अपना दिमाग इस पर लगायें तो निश्चित ही निष्पक्ष, समान एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था उभरकर सामने आयेगी।”
उन्होंने कहा, “जब हम सामूहिक प्रयास को प्रोत्साहित करते हैं, तब भारत विविध साझेदारों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। गुटनिरपेक्ष के दौर से आगे बढ़कर हमने विश्वमित्र की अवधारणा विकसित की है। यह विविध प्रकार के देशों के साथ संवाद एवं साझेदारी करने के हमारे सामर्थ्य एवं इच्छा में झलकती है।” उन्होंने क्वाड और ब्रिक्स जैसे संगठनों के तेजी से विकास का जिक्र करते हुए यह बात कही।
भारत का दृष्टिकोण ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’
जयशंकर ने कहा, “सभी देश अपने राष्ट्रहित को आगे बढ़ाते हैं। भारत में हमे वह वैश्विक भलाई के विरूद्ध नजर नहीं आया। जब हम अग्रणी ताकत बनने की आकांक्षा लेकर बढ़ते हैं तो यह आत्म-अभ्युदय नहीं बल्कि अधिक जिम्मेदारी लेना एवं योगदान करना होता है।” जयशंकर ने कहा कि दुनिया उथल-पुथल के असाधारण दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि यही असाधारण जिम्मेदारी का ही भाव है कि भारत ने जी20 की अध्यक्षता संभाली। उन्होंने कहा, ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का भारत का दृष्टिकोण महज कुछ देशों के संकीर्ण हितों पर नहीं, बल्कि कई राष्ट्रों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है।
भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ G20 का स्थायी सदस्य बना
जयशंकर ने कहा कि वृद्धि और विकास को सबसे कमजोर लोगों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, हमने वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन आयोजित करके अध्यक्षता शुरू की। इसने हमें 125 देशों से सीधे सुनने और उनकी चिंताओं को जी20 एजेंडा पर रखने में सक्षम बनाया। परिणामस्वरूप, वैश्विक स्तर पर ध्यान आकर्षित करने वाले मुद्दों पर निष्पक्ष सुनवाई हुई। इससे भी अधिक, विचार-विमर्श से ऐसे परिणाम निकले जिनका अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए बहुत महत्व है। यह भी उल्लेखनीय था कि भारत की पहल पर अफ्रीकी संघ को G20 का स्थायी सदस्य बनाया गया। ऐसा करके, हमने पूरे महाद्वीप को आवाज दी, जिसका लंबे समय से हक रहा है। सुधार के इस महत्वपूर्ण कदम से संयुक्त राष्ट्र, जो कि एक बहुत पुराना संगठन है, को भी सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
#WATCH | New York | At the UNGA, EAM Dr S Jaishankar says, “Recognising that growth and development must focus on the most vulnerable, we began presidency by convening the Voice of the Global South Summit. This enabled us to hear directly from 125 nations and place their concerns… pic.twitter.com/0GVvrQ8nBS
— ANI (@ANI) September 26, 2023
जयशंकर ने महिला आरक्षण का किया जिक्र
जयशंकर ने महिला आरक्षण विधेयक पर बोलते हुए कहा, “हमारा नवीनतम दावा विधायिकाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए अग्रणी कानून है। मैं एक ऐसे समाज के लिए बोलता हूं जहां लोकतंत्र की प्राचीन परंपराओं ने गहरी आधुनिक जड़ें जमा ली हैं। परिणामस्वरूप, हमारी सोच, दृष्टिकोण और कार्य अधिक जमीनी और प्रामाणिक हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)