Russia and India will jointly military equipment agreement
एस जयशंकर और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव

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नवभारत डिजिटल डेस्क: रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergey Lavrov ) ने बुधवार को मॉस्को में अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर (S Jaishankar) के साथ बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं ने रक्षा तकनीक समेत कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जयशंकर के साथ हुई बैठक में भारत के ‘मेड इन इंडिया’ पहल के तहत सैन्य उत्पादों के उत्पादन में समर्थन और मदद देने की पेशकश की है। वार्ता के बाद उन्होंने कहा कि रूस और भारत ने संयुक्त रूप से सैन्य उपकरण बनाने की योजना पर बातचीत में ठोस प्रगति की है।

विदेश मंत्री जयशंकर से बातचीत के बाद, एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए लावरोव ने कहा कि ऐसा सहयोग रणनीतिक प्रकृति का है और दोनों देशों के हित में है और इससे यूरेशियन महाद्वीप पर सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। रूसी विदेश मंत्री ने कहा कि मॉस्को अपने सैन्य हार्डवेयर आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाने की भारत की इच्छा का सम्मान करता है और भारत की जरूरत की चीजों को भारत में बनाने की भारत सरकार की इच्छा का समर्थन करने के लिए भी तैयार है।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज रात राष्ट्रपति पुतिन भारत के विदेश मंत्री जयशंकर की अगवानी करने की योजना बना रहे हैं।” जयशंकर रूस की पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर यहां पहुंचे हैं। पेसकोव ने कहा कि शीर्ष भारतीय राजनयिक पहले ही अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव से मुलाकात कर चुके हैं।  क्रेमलिन के प्रवक्ता के अनुसार, भारत रूस का एक महत्वपूर्ण भागीदार है।  जयशंकर ने लावरोव से कहा, ‘‘मॉस्को में होना हमेशा अच्छा होता है। इसलिए मैं आपसे सहमत हूं कि हमारा रिश्ता बहुत मजबूत और बहुत स्थिर है तथा मुझे लगता है कि हम एक विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की जिम्मेदारियों पर खरे उतरे हैं।”

रूस की पांच दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने लावरोव के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र, यूक्रेन संघर्ष, गाजा की स्थिति, अफगानिस्तान और मध्य एशिया, ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन, जी20 और संयुक्त राष्ट्र पर भी विचार-विमर्श किया। जयशंकर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ एक व्यापक और उपयोगी बैठक हुई। रणनीतिक साझेदार के रूप में, अंतरराष्ट्रीय स्थिति और समसामयिक मुद्दों पर चर्चा की गई।” 

जयशंकर ने वार्ता के बाद लावरोव के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “हमारे लिए, रूस एक मूल्यवान साझेदार है, समय की कसौटी पर परखा हुआ साझेदार है। यह एक ऐसा रिश्ता है जिससे भारत और रूस दोनों को काफी फायदा हुआ है।” रूस, भारत और ईरान ने 2000 में उत्तर-दक्षिण मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के निर्माण पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें भागीदारों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है। परियोजना का लक्ष्य भारत, ईरान और फारस की खाड़ी के देशों से रूसी क्षेत्र के माध्यम से पारगमन माल ढुलाई को यूरोप तक लाना है।