Market Cap Will 4 Times In 10 Years Deven Choksey

  • इंडियन इन्वेस्टर्स का बढ़ता दबदबा, FII की सेलिंग अल्पकालिक

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मुंबई: भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) में पहली बार ऐसा हो रहा है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारी बिकवाली कर रहे हैं, लेकिन बाजार ज्यादा नहीं गिर रहा है। कोई ‘पैनिक’ की स्थिति नहीं है। हालांकि भारी उतार-चढ़ाव अवश्य हो रहा है, लेकिन अपट्रेंड कायम है। एफआईआई ने अक्टूबर और नवंबर में 2।50 बिलियन डॉलर यानी करीब 19,000 करोड़ रुपए की शुद्ध बिकवाली की और दिसंबर में भी अब तक 10,000 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं।

 इसके बावजूद सेंसेक्स (Sensex) अपने सर्वोच्च स्तर 62,245 अंक से केवल 9.4% ही गिरा है और अब 58,786 अंक पर है। इसके क्या मायने हैं और मार्केट का भावी ट्रेंड क्या रहेगा, कौन से सेक्टर में ज्यादा ग्रोथ आएगी। इन सब पहलुओं पर निवेश गुरु और ब्रोकिंग हाउस केआर चोकसी शेयर्स एंड सिक्युरिटीज प्रा. लिमिटेड (KR Choksey) के संस्थापक देवेन चोकसी (Deven Choksey) से वाणिज्य संपादक विष्णु भारद्वाज ने विस्तृत चर्चा की। पेश हैं चर्चा के मुख्य अंश:-

शेयर बाजार में पहली बार ऐसी स्थिति देखी जा रही है कि FII की बिकवाली के बावजूद ज्यादा गिरावट नहीं आ रही है। इसके क्या कारण हैं?

देखिए पहले इंडियन मार्केट एफआईआई पर ज्यादा निर्भर था, लेकिन अब डोमेस्टिक इन्वेस्टर (Domestic Investor) का दबदबा बढ़ता जा रहा है। म्युचुअल फंडों (Mutual Funds) में केवल एसआईपी (SIP) के जरिए ही हर माह 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश आ रहा है। इसके अलावा भारतीय रिटेल इन्वेस्टर अन्य तमाम म्युचुअल फंड और इंश्योरेंस स्कीमों में भी निवेश कर रहे हैं। यह पैसा मार्केट में आ रहा है और निचले स्तरों पर मार्केट को सपोर्ट मिल रहा है। जिसके कारण एफआईआई की सेलिंग (Selling) के बावजूद अपट्रेंड (Uptrend) कायम है। दूसरे, एफआईआई भी इंडिया ग्रोथ स्टोरी (India Growth Story) से आकर्षित हैं और नए साल में इनका निवेश बढ़ेगा। एफआईआई में 2 तरह की कैटेगरी हैं। एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर (Long Term Investor) हैं और दूसरे ट्रेडर (Trader) हैं। ये ट्रेडर ही वर्तमान में ईयर एंड के कारण प्रॉफिट बुकिंग (Profit Booking) कर रहे हैं, जो अल्पकालिक है।  

आगे मार्केट कैसा रहेगा और रिटेल इन्वेस्टर को क्या नीति अपनानी चाहिए?

जैसा कि मैंने कहा कि इंडिया की ग्रोथ स्टोरी कायम है और यदि जीडीपी (GDP) में 10% की ग्रोथ आती है तो इंडियन इकनॉमी (Indian Economy) अगले 10-12 वर्षों में बढ़कर 12 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है, जो अभी 2.8 ट्रिलियन डॉलर है। जबकि मार्केट कैप (Market Capitalization) 4 गुना बढ़कर 14 से 15 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा, जो अभी 3.5 ट्रिलियन डॉलर है। देश की तेज ग्रोथ के कारण सभी सेक्टर को फायदा मिल रहा है। बड़ी कंपनियों के लिए और बड़ा होने के अवसर हैं तो छोटी व मझोली कंपनियों को भी बड़ा बनने के अवसर मिल रहे हैं। वर्तमान वित्त ‍वर्ष में भी दूसरी छमाही में ग्रोथ अच्छी आने की उम्मीद है। ऐसे में निफ्टी (Nifty) 16,500 अंक से नीचे जाने की आशंका नहीं है और इस स्तर से अगले एक साल में इन्वेस्टर 20% रिटर्न की उम्मीद रख सकते हैं। रिटेल इन्वेस्टर के लिए यही सलाह है कि वे हर गिरावट में क्वालिटी स्टॉक में लॉन्ग टर्म व्यू रखकर निवेश करें।

वर्तमान में कौनसे सेक्टर निवेश के लिहाज से पॉजिटिव दिख रहे हैं?

पॉजिटिव सेक्टर की बात करें तो बैंकिंग (Banking) विशेषकर बड़े प्राइवेट बैंक अच्छे लग रहे हैं। इनकी बैलेंस शीट क्लीन है और ग्रोथ अच्छी है। अफोर्डबल हाउसिंग की बढ़ती मांग से हाउसिंग फाइनेंस ‍(Housing Finance) शेयर भी अच्छे दिख रहे हैं। इक्विटी इन्वेस्टर की बढ़ती संख्या से स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) व डिपॉजिटरी कंपनियों (Depository Companies) के शेयर भी आकर्षक हैं। सनराइज सेक्टर ग्रीन एनर्जी इंडस्ट्री (Green Energy Industry) में रिलायंस (Reliance Industries), टाटा पावर (Tata Power) जैसी प्रमुख कंपनियों को लॉन्ग टर्म में काफी अच्छा फायदा मिलेगा। फार्मा एपीआई (Pharma API) और स्पेशियल्टी केमिकल्स (Speciality Chemicals) सेक्टर भी इन्वेस्टर को आकर्षित कर रहे हैं।