फाइल फोटो
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    नई दिल्ली. सरकार अब पेंशन (Pension Accounts) और प्रॉविडेंट फंड (Provident Fund) को अलग करने के बारे में सोच रही है। इसके पीछे बड़ा कारण है कि, जब कर्मचारी रिटायर हो तो उसके पास पेंशन की मोटी रकम हो। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) The (Employees’ Provident Fund Organization) के तहत 6 करोड़ कर्मचारियों पर इस फैसले का असर पड़ेगा।  

    नहीं निकाल सकेंगे पेंशन फंड से पैसे 

    गौरतलब हो कि, कर्मचारी और कंपनी का 12-12% यानी कुल 24 परसेंट पैसे प्रॉविडेंट फंड में जमा होते है। जिसमें से 8.33 % हिस्सा Employees Pension Scheme (EPS) में जाता है और बाकी रकम प्रॉविडेंट फंड में जाता है। सिंगल अकाउंट होने के कारण कर्मचारी जब अपने प्रॉविडेंट फंड से पैसे निकालते हैं तो अपने पेंशन अकाउंट से भी पैसे निकाल लेते हैं। Mint की रिपोर्ट के अनुसार सरकार का मानना है कि पेंशन और प्रॉविडेंट फंड अलग होने के बाद कर्मचारी पेंशन फंड पैसे नहीं निकाल सकेंगे। सरकार के इस कदम को पेंशन रिफॉर्म की तरह देखा जाएगा। 

    कोरोना के दौरान लोगों ने खूब निकाले पैसे

    Mint में छपी रिपोर्ट के मुताबिक,कोरोना महामारी के दौरान करोड़ों लोगों की नौकरियां चली गई। जिसके चलते 31 मई 2021 तक कुल 76.3 लाख लोगों ने कोविड एडवांस के रूप में इन अकाउंट्स से पैसे निकाले हैं। 1 अप्रैल 2020 से 3.9 करोड़ क्लेम्स, जिसमें कोविड एडवांस भी शामिल हैं EPFO ने 19  जून, 2021 तक सेटल किए हैं। 

    PF और पेंशन फंड को अलग करने पर चर्चा

    Mint के मुताबिक एक अधिकारी ने बताया कि EPFO में PF और पेंशन स्कीम का अलग-अलग होना बेहद जरूरी है। PF से पैसा जरूरत के वक्त निकालने में कोई परेशानी नहीं, लेकिन पेंशन अकाउंट के पैसे को नहीं छूना चाहिए। अगर किसी वजह से कोई सब्सक्राइबर पेंशन फंड से पैसा निकालता भी है तो उसे बदली हुई वैल्यू दिखाई देगी, यानी रिटायरमेंट के बाद पेंशन कम हो जाएगी। मैच्योरिटी से पहले निकासी को कम करने के लिए, जब कोई सब्सक्राइबर पेंशन फंड तोड़ेगा तो उसे कुछ इनसेंटिव्स का पैसा नहीं मिलेगा।  

    अधिकारी ने बताया कि एक इंटरनल सरकारी पैनल ने EPF और EPS अकाउंट्स को अलग करने की सलाह दी थी। जिस पर इस साल की शुरुआत में EPFO की बोर्ड बैठक में चर्चा भी हुई थी।