कैसे और कब से शुरू हुआ राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद, जाने पूरा इतिहास

नई दिल्ली:उच्चतम न्यायालय आज 9नवंबर 2019 को अयोध्या पर अपना फैसला कुछ ही देर में सुनाने वाली हैं।चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पाँच बेंच अपना फैसला सुबह 10.30 सुनाने

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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय आज 9 नवंबर  2019 को अयोध्या पर अपना फैसला कुछ ही देर में सुनाने वाली हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पाँच बेंच अपना फैसला सुबह 10.30 सुनाने को तैयार हैं। रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले की का ऐतिहासिक फैसला पांच जजों की पीठ सुनाएगी। जिसमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर शामिल है।

जानिए अयोध्या विवाद का इतिहास-

1885: इस विवाद की शुरुआत हुई थी 1885 में जब महंत रघुबर दास ने बाबरी मस्जिद के दरवाज़े के पास बने चबूतरे पर मंदिर बनाये जाने की मांग करी जो कि अदालत ने ख़ारिज हो गयी।

1946: मस्ज़िद को लेकर उठा विवाद की ये शियाओं की है या सुन्नियों की है। चूंकि बाबर सुन्नी था इसलिए फैसला सुन्नियों के पक्ष में फैसला हुआ।

1949: उत्तर प्रदेश सरकार ने मस्जिद के बाहर राम चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की कोशिश की जो कि नाकाम रही। इसी वर्ष 22-23 दिसंबर में मस्जिद में राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्ति रखी गयी। 29 दिसम्बर को सम्पत्ति कुर्क कर ली गयी और वहां रिसीवर बैठा दिया गया।

1950: अदालती लड़ाई का नया दौर शुरू हुआ। गोपालदास विशारद ने अदालत से माँग की मूर्तियाँ न हटें और बेरोकटोक पूजा करने की इजाज़त मिले। अदालत ने ताला खोलने से मना किया और सिर्फ़ पुजारी को पूजा करने की इजाज़त दी। जनता को बाहर से दर्शन कर सकते हैं।

1959: निर्मोही अखाड़े भी अदालत में अपने दावे के साथ।

1961: सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने अदालत में मस्जिद होने का दावा पेश किया।

1986: फैज़ाबाद के जिला जज ने मंदिर का ताला तोड़ कर पूजा की इजाजत दी। कोर्ट के फैसले के खिलाफ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने का निर्णय।

1989: विहिप नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला की तरफ से मंदिर के दावे के मुक़दमा दायर किया। इसी वर्ष नवंबर में राम मंदिर का शिलान्यास मस्जिद से थोड़ी दूर किया गया।

1990: बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने रथ यात्रा शुरू की। सितंबर 25 को शुरू हुई यात्रा के बाद देश में कई जगह दंगे भड़क गए और बिहार में 23 अक्टूबर को आडवाणी को गिरफ्तार किया। इसी वर्ष दिसंबर में कारसेवक मस्जिद पर चढ़ गये और गुम्बद तोड़ कर उसपर भगवा फहराया। इसके बाद और दंगे भड़क गये।

1992: कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाज़त का हलफनामा दायर किया। लेकिन 6 दिसम्बर को लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी।

2003: हाइकोर्ट ने विवादित स्थल की खुदाई करवाई ये जानने के लिये की क्या वहां कोई मंदिर था।

क्या हो सकता है अयोध्या राममंदिर विवाद पर फैसला: फैसले के दिन अयोध्या जमीन किसकी होगी और कौन सा हिस्सा किसका होगा. इसके बारे में जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा. फैसले में हो सकता है कि सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद कोर्ट के फैसले के बरकरार रखे और ये भी हो सकता है कि वो इस जमीन को अलग-अलग बांट दें या किसी एक पक्ष को पूरी जमीन का मालिकाना हक सौंप दें. पांचों जज अपने फैसले को एक-एक करके पढ़ेंगे. जिसका इंतजार पूरा देश कर रहा है.