राजनीति का अनोखा प्रकार, चुनाव के पहले हरियाणा में बदल डाली सरकार

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यह आम चुनाव के पहले का संक्रमण काल है जिसमें राजनीतिक शतरंज के मोहरे इधर से उधर किए जा रहे हैं।  मनोहर लाल खट्टर को हरियाणा के सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा, जिसे लेकर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर सामयिक टिप्पणी की है- ‘वक्त है बदलाव का ! जो भगदड़ आज हम हरियाणा में देख रहे हैं वो किसान, नौजवान व पहलवान के दबाव में हो रही है और यही देश में भी होने जा रहा है।  

हरियाणा में बीजेपी को करारा झटका लगा जब दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ उसका गठबंधन टूट गया।  दुष्यंत अपनी पार्टी के लिए लोकसभा की 2 सीटें चाहते थे लेकिन बीजेपी हाईकमांड सिर्फ 1 सीट देने को तैयार था।  दूसरी ओर बीजेपी का प्रदेश नेतृत्व 10 सीटों पर लड़ना चाहता था क्योंकि राज्य की सभी सीटों पर उसके सांसद हैं, दुष्यंत चौटाला को बीजेपी के साथ रहने से नुकसान हो रहा था।  उन्हें किसानों और जाटों की नाराजगी झेलनी पड़ रही थी।  अगर वह सरकार के साथ रहते तो जेजेपी को नुकसान उठाना पड़ता।  अब चौटाला किसानों के बीच जाकर कह सकते हैं कि वह सरकार से अलग हो चुके हैं।  बीजेपी ने भी मौके की नजाकत भांप ली। 

 दिल्ली के इशारे पर मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर व उनके मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया।  मंत्रिमंडल में जेजेपी के 3 मंत्री थे।  90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में बीजेपी के 41 तथा जेजेपी के 10 विधायक हैं।  इस गठबंधन को 7 में से 6 निर्दलीयों का समर्थन प्राप्त था।  मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के 30 विधायक हैं।  बीजेपी अकेली सबसे बड़ी पार्टी है।  बीजेपी के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष नायबसिंह सैनी नए मुख्यमंत्री होंगे।  प्रदेश की जनभावना देखते हुए भी बीजेपी ने आम चुनाव के मुहाने पर यह परिवर्तन करना उचित समझा।  इससे खट्टर विरोधियों को तसल्ली होगी।  प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में मनोहरलाल खट्टर मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाने वाले 7वें सीएम बन गए।  

इससे पहले उत्तराखंड में त्रिवेन्द्रसिंह रावत, तीरथ सिंह रावत, गुजरात में आनंदी बेन पटेल, विजय रूपानी, कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा और महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद खोना पड़ा था।  बीजेपी अनुशासन वाली पार्टी है जहां हाईकमान का संकेत मिलते ही कोई भी नेता इस्तीफा दे देता है।  पार्टी नेतृत्व भी बदलते हुए चेहरों की मिसाल पेश करने में पीछे नहीं रहता।  परिवर्तन से जनता का ध्यान बंट जाता है और प्रदेश में नए नेतृत्व से उसकी उम्मीदें लग जाती हैं। 

यह एक तरह की राजनीतिक हेराफेरी है।  हरियाणा में बीजेपी मजबूत है।  सिर्फ मुख्यमंत्री का चेहरा बदला गया है।  किसान आंदोलन की चुनौती के बीच यह राजनीतिक खेल खेला गया है।  दुष्यंत चौटाला की पार्टी भी खतरे में आती दिखाई दे रहीहै।  बैठक में उसके आधे विधायक गायब हो गए,

बीजेपी अकेली सबसे बड़ी पार्टी है।  बीजेपी के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष नायब सिंह सैनी नए मुख्यमंत्री होंगे।  प्रदेश की जनभावना देखते हुए भी बीजेपी ने आम चुनाव के मुहाने पर यह परिवर्तन करना उचित समझा।  इससे खट्टर विरोधियों को तसल्ली होगी।  प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री की कुसीं गंवाने वाले 7वें सीएम बन गए।