कोई क्या धोए, क्या निचोड़े, भारी महंगाई से लोगों का जीना दूभर

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आम जनता यदि किसी बात से सबसे ज्यादा परेशान होती है तो वह है महंगाई! संपन्न वर्ग या नेताओं तक महंगाई की छाया भी नहीं पहुंचती इसलिए वे उससे होनेवाली तकलीफों को समझ नहीं पाते. गरीब और निम्न मध्यमवर्ग इस पीड़ा को भोगने के लिए विवश है. यद्यपि भारत की इकोनॉमी विश्व के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था की तुलना में तेजी से बढ़ रही है और ब्रिटेन को पीछे छोड़कर 5वें स्थान पर पहुंच चुकी है फिर भी देश की 140 करोड़ की विशाल आबादी होने की वजह से उसका प्रत्यक्ष लाभ सामान्य जनता के बीच नहीं पहुंच पाता. यद्यपि जीडीपी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है लेकिन दूसरी ओर बेरोजगारी भी बढ़ी है.

गरीबी व अभाव का स्याह चेहरा वहीं नजर आता है कि देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देना पड़ रहा है और प्रधानमंत्री की यह योजना अगले 5 वर्षों के लिए विस्तारित की गई है. स्पष्ट है कि ये लोग इतने गरीब हैं कि क्षुधा निवारण के लिए अनाज खरीदने की क्षमता नहीं रखते. सांख्यिकी मंत्रालय ने खुदरा महंगाई का डेटा जारी किया है.

इसके मुताबिक पिछले नवंबर माह में खुदरा महंगाई दर 8.70 फीसदी रही थी. फल, सब्जी, दाल, मसालों की कीमतों में उछाल ने रसोई घर में आग भड़का दी. 100 ग्राम जीरा भी लगभग 200 रुपए में मिलता है. लहसुन और अदरक कभी इतने महंगे नहीं हुए थे जैसे अभी देखे जा रहे हैं. गरीब और मध्यम वर्ग की हालत ऐसी है कि क्या धोए और क्या निचोड़े! महंगाई रह-रहकर झटके दे रही है.

जुलाई 2023 में टमाटर खाना लग्जरी बन गया था. तब अनेक खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उछाल के बाद खुदरा महंगाई दर 7.44 फीसदी पर जा पहुंची थी. शाकाहारी लोगों के लिए दाल प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्रोत है. इस समय दालों की महंगाई दर बढ़कर 20.23 प्रतिशत तक जा पहुंची है जो अक्टूबर में 18.79 फीसदी थी.

अब दावा किया गया है नवंबर 2023 में खुदरा महंगाई दर 5.55 फीसदी रही यह बात भी गौर करने लायक है कि यदि ब्रेड-बिस्किट के दाम नहीं बढ़े तो उनकी पैकिंग छोटी और मात्रा कम कर दी गई. कितनी ही वस्तुओं के दाम जीएसटी मिलाकर काफी अधिक हो जाते हैं. महंगाई ने जनता का निवाला छीनने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है. लोग जैसे-तैसे इसे बर्दाश्त करने को मजबूर हैं. मौसम की मार, उत्पादन की कमी, बाजार की ताकतें भी इसके लिए जबाबदार हैं.