महंगाई से जनता हलाकान, खाद्य वस्तुओं के दाम छूने लगे आसमान

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भारतीय अर्थव्यवस्था को अचानक दोहरा झटका लगा है. दिसंबर 2023 में औद्योगिक उत्पादन में कमी देखी गई जबकि खुदरा के बाद थोक महंगाई (Inflation) भी बढ़ गई. खुदरा महंगाई दर नवंबर के स्तर से बढ़कर 14 बेसिस प्वाइंट पर जा पहुंची. खाद्य पदार्थों, सब्जियों, अनाज और दाल के दाम में आए तेज उछाल से जनता का बुरा हाल हो रहा है. खाद्य पदार्थों की महंगाई दर नवंबर में 8.18 प्रतिशत थी जो दिसंबर में बढ़कर 9.38 फीसदी हो गई. दिसंबर में सब्जियों की महंगाई दर 26.30 प्रतिशत और दालों की महंगाई दर 19.60 प्रतिशत थी. प्याज की महंगाई दर 91.77 फीसदी रही उपभोक्ता मामलों का विभाग दैनिक आधार पर 23 खाद्य वस्तुओं के औसत खुदरा मूल्य का निरीक्षण करता है. इन वस्तुओं का मूल्य बढ़ने से इनका उपभोग भी कम हो गया. उपभोग घटना व्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं है.

यह महंगाई नीति निर्धारकों के लिए चुनौती बनी हुई है. कुछ माह बाद लोकसभा चुनाव हैं. देखा गया है कि हर चुनाव के साथ महंगाई बढ़ती है. ऐसी हालत में पता नहीं जीवनावश्यक वस्तुओं के दाम किस ऊंचाई तक जाएंगे. परिवारों को अपनी आय का बड़ा हिस्सा खाद्य पदार्थों पर खर्च करना पड़ रहा है. ज्वार और बाजरा जैसे मोटे अनाज के दाम भी 63 से लेकर 106 बेसिस प्वाइंट तक बढ़े हैं. ऐसे में गृहिणियों को महंगाई विशेष रूप में प्रभावित कर रही है.

शाकाहारी भोजन में दाल ही प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है. 43 महीनों में उसके दाम 20.7 फीसदी बढ़ गए हैं वर्तमान रबी मौसम में 2023 की तुलना में दलहन की बुआई का रकबा 8 प्रतिशत कम हुआ है. इसलिए दाल के दाम और बढ़ सकते हैं. खाद्य-पेय समूह में 9.93 प्रतिशत मूल्यवृद्धि हुई है. इसके बावजूद इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च को जनवरी 2024 में थोक महंगाई दर 1.1 फीसदी पर आने की उम्मीद है.

जहां तक औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति है, मशीनरी व उपकरण, विनिर्माण व परिवहन, कंप्यूटर, इलेक्ट्रानिक व ऑप्टिकल उत्पादों की कीमतों में वृद्धि की वजह से दिसंबर में थोक मुद्रास्फीति बढ़ी. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यू पी आई) में बढ़ोत्तरी ईंधन, खाद्य तथा कच्चे तेल से संबंधित वस्तुओं के कारण हुई.

महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक का मध्यावधि लक्ष्य 4 प्रतिशत था लेकिन वह इससे ऊपर बनी हुई है. रूस-यूक्रेन युद्ध तथा इजराइल-हमास की लड़ाई से सप्लाई चेन में बाधा आई है. लाल सागर में हाउथी लुटेरों के हमले की वजह से तेल आयात करनेवाले देशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अध्यक्ष बोर्ज ब्रेंडे ने भी इस पर चिंता जताई है.