यह कौन सी नीति है कि पहले तो महंगाई से कराहती जनता पर जुल्म ढाते हुए मनमाने तरीके से पेट्रोल-डीजल (Petrol, Diesel Rate) के दाम लगातार बढ़ाए जाएं और जब बीजेपी शासित किसी राज्य में चुनाव समीप दिखाई दे तो वहां दाम घटाने का झुनझुना बजा दिया जाए! असम विधानसभा (Assam Assembly Elections 2021) के लिए चुनावी माहौल देखते हुए बीजेपी यही खेल कर रही है. वहां की सर्वानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम में 5 रुपए की कटौती की है. इसी तरह वहां शराब पर 25 प्रतिशत ड्यूटी घटाई गई है. अप्रैल में होनेवाले चुनाव से पहले यह सब जनता को खुश करने और वोट लेने के हथकंडे हैं.
चुनाव कार्यक्रम घोषित होने और आचार संहिता लगने के पहले ही बीजेपी सरकार ने जनता के तुष्टिकरण का कदम उठा लिया. जब असम में पेट्रोल-डीजल के दाम 5 रुपए प्रति लीटर कम किए जा सकते हैं तो केंद्र की बीजेपी सरकार समूचे देश में दाम कम क्यों नहीं करती? क्या ऐसा भेदभाव किसी को बर्दाश्त होगा? राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्ववाली कांग्रेस सरकार ने सूझबूझ दिखाते हुए वैट घटाकर पेट्रोल-डीजल सस्ता किया था. वहां तो कोई चुनाव नहीं था लेकिन फिर भी जनता को राहत देने के लिए गहलोत सरकार ने ऐसा कदम उठाया. इस समय देश में पेट्रोल के दाम शतक की ओर बढ़ रहे हैं डीजल का दाम भी रोज बढ़ता जा रहा है. कोरोना से लोग बेरोजगार हुए हैं उनकी वेतन कटौती हुई है फिर भी सरकार का दिल नहीं पसीजता. महंगाई का यह आलम है कि खाद्य तेल के दाम डेढ़ गुने हो चुके हैं.
चाय की पत्ती 350 से 400 रुपए किलो चल रही है. दाल भी महंगी हुई हैं चावल के दाम गत वर्ष की तुलना में प्रति किलो 10 रुपए के आसपास बढ़े हैं. बिस्किट महंगा हुआ है. तात्पर्य यह है कि जनसामान्य पर महंगाई की चौतरफा मार पड़ रही है. केंद्र सरकार ने तेल कंपनियों को मनमानी मूल्यवृद्धि की छूट दे रखी है. 25 से 30 रुपए कीमत का पेट्रोल केंद्रीय कर, वैट, स्थानीय कर आदि मिलाकर 97 रुपए तक जा पहुंचा है. सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी से 1.4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई की है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने साफ कह दिया है कि दामों में कोई कटौती नहीं की जाएगी. यह रवैया जन असंतोष को बढ़ानेवाला है.