पवार के बहाने शिवसेना का कांग्रेस पर वार

महाराष्ट्र के दिग्गज नेता शरद पवार (Sharad Pawar) को यूपीए चेयरमैन बनाने के लिए हवा बनाने का काम शिवसेना (Shiv Sena) कर रही है. इसके पीछे कांग्रेस पर वार करने और उसका पत्ता काटने की गहरी चाल है. इस उद्देश्य से शिवसेना नेता कांग्रेस को प्रभावहीन साबित कर पवार की प्रशंसा करने में लगे हैं. गत 12 दिसंबर को पवार के 80वें जन्मदिन पर एनसीपी के वरिष्ठ नेता व सांसद प्रफुल पटेल (Praful Patel) ने कहा था कि यदि पवार यूपीए के अध्यक्ष बनते हैं तो सभी नेताओं को बड़ी खुशी होगी. उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस में रहते हुए शरद पवार के पास 4 बार प्रधानमंत्री बनने का मौका आया था लेकिन साजिशों व दरबारी राजनीति की वजह से वह इस पद को हासिल नहीं कर सके थे.

राऊत का कांग्रेस पर प्रहार

दूसरी ओर यह भी सच है कि कांग्रेस जिस तरह की आत्ममुग्धता और बेफिक्री दिखा रही है. उसे देखते हुए कोई तो ऐसा होना चाहिए जो उसे झकझोरे या चिमटी काटे. शिवसेना ने यही किया. शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने तीखे शब्दों में कहा कि विरोधी दल के लिए एक सर्वमान्य नेतृत्व की आवश्यकता होती है लेकिन इस मामले में देश का विरोधी दल पूरी तरह दिवालियेपन के हाशिये पर खड़ा है. कांग्रेस (Congress) ने राहुल व प्रियंका गांधी के नेतृत्व में किसानों के समर्थन में मोर्चा निकाला लेकिन मोदी सरकार ने उसे लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई. इससे विरोधी दल की दुर्दशा साफ दिखाई देती है. विरोधी दल कमजोर और बिखरा हुआ है. यह कितने आश्चर्य की बात है कि कांग्रेस जैसी ऐतिहासिक पार्टी के पास एक वर्ष से पूर्णकालिक अध्यक्ष ही नहीं है. सोनिया गांधी यूपीए चेयरपर्सन हैं और अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस का कार्यकारी नेतृत्व कर रही है. उनके आसपास के पुराने नेता अदृश्य हो गए हैं. ऐसे में कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा? संजय राऊत ने यूपीए की भी खिंचाई करते हुए कहा कि इसकी हालत एकाध ‘एनजीओ’ की तरह होती दिखाई दे रही है. यूपीए के घटक दलों ने भी किसान आंदोलन को गंभीरता से नहीं लिया. यूपीए में कुछ पार्टियां होनी चाहिए लेकिन वे कौन हैं और क्या करती हैं, इसको लेकर भ्रम बना हुआ है.

तारीफ के पुल बांधे

संजय राऊत ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार की प्रशंसा करते हुए कहा कि पवार का स्वतंत्र और वजनदार व्यक्तित्व है. उनके अनुभव का लाभ प्रधानमंत्री मोदी से लेकर अन्य पार्टियां भी लेती रहती है. पवार के नेतृत्ववाली एनसीपी को छोड़ दिया जाए तो यूपीए के अन्य सहयोगी दलों में कुछ भी हलचल नहीं दिखती. शिवसेना के मुखपत्र में शरद पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाने की वकालत की गई है. इससे कांग्रेसी नेताओं का भड़कना स्वाभाविक था. पूर्व मंत्री व महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष नसीम खान ने कहा कि शिवसेना यूपीए का हिस्सा नहीं है इसलिए उसे यह राय देने का अधिकार नहीं है कि यूपीए का अध्यक्ष किसे बनाया जाना चाहिए. पूर्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने कहा कि पहले शिवसेना यह तय करे कि वह एनडीए में है या यूपीए में? शिवसेना कहती है कि कांग्रेस के साथ उसका गठबंधन सिर्फ महाराष्ट्र में ही है. किसान बिल पर भी शिवसेना ने डबल गेम खेला. वह एक सदन में बीजेपी के पक्ष में रही और दूसरे सदन में गायब हो गई. जब शिवसेना यूपीए का हिस्सा नहीं है तो उसे इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि यूपीए का चेयरमैन कौन होगा. उधर बात संभालते हुए एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि शरद पवार पहले ही कह चुके है कि उनकी यूपीए चेयरमैन बनने की कोई मंशा नहीं है. इसलिए इस मुद्दे पर विवाद नहीं होना चाहिए.