Estimates of 10% increase in Soybean Sowing Area: Processors
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    अकोला. पिछले कुछ समय से किसान सोयाबीन के दामों के बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन ऐसा देखा गया है कि सप्ताह भर में सोयाबीन के दामों में कमी आई है. शायद इसी कारण से बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिन्होंने सोयाबीन अभी तक मंडी में नहीं लाई है. लेकिन अब सोयाबीन के दामों में कमी आने के कारण किसानों में चिंता देखी जा रही है.

    पिछले वर्ष किसानों को सोयाबीन के अच्छे दाम मिले थे, उस तुलना में इस वर्ष दाम बहुत कम हैं. इस वर्ष ऐसा लग रहा था कि सोयाबीन को अच्छे दाम मिलेंगे. शुरूआत में सोयाबीन को 6 हजार से अधिक दाम मिल रहे थे. उसके अनुसार किसानों को लग रहा था कि आनेवाले समय में और अधिक दाम बढ़ेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. 

    5,000 तक आगए दाम

    20 जनवरी को सोयाबीन के दाम करीब 5,100 रू. से 5,200 रू. क्विंटल के थे वहीं 21 जनवरी को सोयाबीन के दाम 5 हजार पर आ गए. 23 जनवरी को दाम 5,050 तथा 24 जनवरी को 5,080, 25 जनवरी को फिर से 5 हजार तथा 27 जनवरी को 5,195 के दाम देखे गए. उस अनुसार सोयाबीन के दाम कम होते रहे हैं. इसलिए फिलहाल दाम कितने बढ़ेंगे यह कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है. किसानों का कहना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दाम बहुत कम हैं. इसी कारण से कई किसानों ने सोयाबीन का स्टाक कर के रखा हुआ है और वे दाम बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं. 

    6,800 रु. प्रति क्विंटल

    तुअर की खरीदी बहुत ही मंद गति से शुरू है. एपीएमसी में तुअर आ रही है. इस समय तुअर को 6 हजार 600 रू. से लेकर 6 हजार 800 रू. प्रति क्विंटल के दाम मिल रहे हैं. जानकारी के अनुसार जहां एक ओर तुअर के 10 हजार से अधिक बोरे आ रहे हैं. वहीं सिर्फ 4 हजार बोरों की खरीदी हो रही है. खेतों में तुअर निकालना शुरू है. वापसी की बारिश के कारण तुअर की क्वालिटी भी खराब हुई है और उत्पादन भी घटा है. फिलहाल तुअर के दाम कुछ कम हुए हैं.

    किसानों का कहना है कि इस वर्ष तुअर का उत्पादन काफी घटने के कारण एपीएमसी में तुअर कम आ रही है. किसानों का कहना है कि तुअर के दाम बढ़ने चाहिए अन्यथा उत्पादन खर्च भी नहीं निकल पाएगा. किसानों को उम्मीद है कि निश्चित ही तुअर के दाम और बढ़ेंगे. फिलहाल तो इस तरह की कोई स्थिति दिखाई नहीं दे रही है.