नियमों को ताक पर रखकर रैम्की कंपनी को 25 करोड़ रुपए देने का षडयंत्र नाकाम, जायजा लेंगे डॉ. अभिजीत चौधरी

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    औरंगाबाद : वैसे सालों से महानगरपालिका प्रशासन (Municipal Administration) के अधिकारी धांधलियां कर महानगरपालिका की तिजोरी को चूना लगाने में माहिर है। महानगरपालिका में नए कमिश्नर डॉ. अभिजीत चौधरी (Commissioner Dr. Abhijit Choudhary) के पदभार संभालने के एक दिन पूर्व घनकचरा व्यवस्थापन के लिए महानगरपालिका ने कुछ सालों पूर्व नियुक्त किए रैम्की कंपनी (Ramky Company) को नियमों को ताक पर रखकर 25 करोड़ रुपए देने का षडयंत्र रचा गया था। इस कंपनी को 25 करोड़ की राशि अदा करने के लिए एक ही दिन में प्रस्ताव तैयार कर उसे मंजूरी दी गई। उसके बाद उक्त राशि देने के वावचर तैयार कर कंपनी को 25 करोड़ की राशि देने का निर्णय अंतिम चरण पर था। कंपनी को यह रकम अदा करने पर महानगरपालिका के आला अधिकारियों के जेब गर्म होना था। लेकिन, यह बात लिक होते ही सारा मामला बिगड़ा और रैम्की कंपनी को 25 करोड़ रुपए देने के षडयंत्र को ब्रेक लगा। यह राशि महानगरपालिका द्वारा आपदा व्यवस्थापन के लिए आरक्षित की गई फिक्स डिपॉजिट रकम को तोड़कर देने का तय हुआ था। इस मामले को नए कमिश्नर डॉ. अभिजीत चौधरी को गंभिरता से सोच विचार कर निर्णय लेना होगा। महानगरपालिका के जानकारों का कहना है कि इस मामले में महानगरपालिका प्रशासन ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो उसका लाभ महानगरपालिका को हो सकता है। 

    कुछ सालों पूर्व महानगरपालिका ने शहर के घनकचरा व्यवस्थापन के लिए हैदराबाद की रैम्की कंपनी को ठेका दिया था। कंपनी को ठेका देने के कुछ समय बाद ही कंपनी और महानगरपालिका प्रशासन के बीच विवाद होने पर प्रशासन ने रैम्की कंपनी के साथ किया हुआ करार रद्द किया। प्रशासन के निर्णय के खिलाफ रैम्की कंपनी ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले पर हुई सुनवाई में निचली अदालत ने रैम्की कंपनी को 37 करोड़ की राशि महानगरपालिका को अदा करने के आदेश दिए। इस आदेश के बाद महानगरपालिका की विधि सलाहकार अपर्णा थेटे ने इस मामले में अपनी राय में साफ लिखा था कि निचली अदालत के दिए हुए आदेश पर महानगरपालिका प्रशासन उपरी अदालत का दरवाजा खटखटायें। प्रशासन ने इसको लेकर तैयारियां शुरु की थी। 

    1 अगस्त को रचा गया कंपनी को 25 करोड़ की राशि देने का षडयंत्र 

    महानगरपालिका सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त नए कमिश्नर डॉ. अभिजती चौधरी पदभार संभालने वाले थे। उसके एक दिन पूर्व यानी 1 अगस्त को महानगरपालिका के चुनिंदा अधिकारियों ने कंपनी के अधिकारियों के साथ गुप्त समझौता कर वन टाईम सेटलमेंट में 25 करोड़ राशि देना की तैयारी कर चंद घंटों में कंपनी को रकम देने का सारा षडयंत्र रचा। महानगरपालिका सूत्रों ने बताया कि यह राशि मिलने पर कंपनी के अधिकारियों ने महानगरपालिका अधिकारियों को 10 प्रतिशत की रकम देेकर मालामाल करने के लिए भी हरी झंडी दिखायी। उसके बाद महानगरपालिका के वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति का गठन किया गया। समिति ने दिखावे वाली चर्चा कर रैम्की कंपनी को 25 करोड़ राशि देने के लिए हामी भरी। हालांकि, प्रशासन के इस निर्णय का कुछ अधिकारियों ने विरोध भी किया। कुछ अधिकारियों का कहना था कि इस मामले में महानगरपालिका की स्थिति काफी मजबूत है, ऐसे में हमने उपरी अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए। परंतु, उनकी सुझाव को दरकिनार कर प्रशासन ने 25 करोड़ की राशि देने का निर्णय ले लिया। उसके बाद 1 अगस्त की शाम में ही आनन-फानन में प्रस्ताव बनाकर उसे पारित भी करवा लिया गया। इधर, प्रस्ताव पारित होते ही 25 करोड़ की राशि रैम्की कपंनी को अदा करने के लिए 90 प्रतिशत और 10 प्रतिशत के दो वावचर तैयार कर रकम देने का सारा प्लान बनाया गया। विशेषकर, वावचर बनाकर तत्काल 25 करोड़ की राशि के चेक कंपनी को देने का गुप्त पद्धति से सारा नियोजन हो चुका था। महानगरपालिका सूत्रों ने बताया कि इसके लिए सारे अधिकारियों को सख्त सूचना दी थी कि चेक अदा होने तक बात बाहर लिक न होने दे। बल्कि,यह राशि कंपनी को अदा करने के लिए शहर में कभी कोई आपदा आयी तो उसके लिए बैंक में फिक्स डिपॉजिट की हुई रकम तोड़कर देने का षडयंत्र भी रचा गया। 

    निर्णय की जानकारी लिक होने पर बिगड़ा सारा खेल

    इधर, महानगरपालिका के चुनिंदा आला अधिकारियों ने कंपनी को राशि देने का सारा गेम फिट कर दिया था। परंतु, उसी दिन शाम में यह बात लिक हुई। दूसरे दिन नए महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. अभिजीत चौधरी पदभार लेने पहुंचे। तब पत्रकार द्वारा इस निर्णय पर जानकारी महानगरपालिका के तत्कालीन कमिश्नर आस्तिक कुमार पांडेय को पूछने पर रैम्की कंपनी को 25 करोड़ की राशि देने का सारा खेल बिगड़ा। मनपा सूत्रों ने बताया कि पत्रकारों को इस मामले की जानकारी मिलने की भनक वरिष्ठ अधिकारियों को लगने पर कंपनी को आनन-फानन में रकम अदा करने के सारे खेल को ब्रेक लगा। इधर, नए कमिश्नर के समक्ष तत्कालीन कमिश्नर पांडेय को पत्रकार द्वारा रैम्की कंपनी को लेकर लिए निर्णय पर सवाल पूछने के बाद देर शाम महानगरपालिका के एक अधिकारी ने कुछ पत्रकारों को फोन कर ऐसा कुछ हुआ ही नहीं, यह दिखाने का प्रयास किया। 

    नए कमिश्नर को गंभीरता से अभ्यास कर लेना होगा निर्णय 

    निचली अदालत ने महानगरपालिका को रैम्की कंपनी को 37 करोड़ की राशि अदा करने का निर्णय दिया है। महानगरपालिका के कुछ जानकारों का कहना कि इस निर्णय पर महानगरपालिका प्रशासन उपरी न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो महानगरपालिका को इसका बड़े पैमाने पर फायदा होना तय है। इधर, कंपनी को 25 करोड़ की राशि देने की बात लिक होने पर कुछ अधिकारियों ने नए कमिश्नर डॉ. चौधरी के कांन पर बात डाल दी है, महानगरपालिका के जानकारों का कहना है कि नए कमिश्नर डॉ. अभिजीत चौधरी न्यायालय के निर्णय का गई राई अध्ययन कर अगला निर्णय ले। महानगरपालिका अधिकारियों के झांसे में आकर कोई ऐसा निर्णय न ले, जिससे महानगरपालिका को करोड़ों का चूना लगे।