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    औरंगाबाद: औरंगाबाद महानगरपालिका चुनाव (Aurangabad Municipal Corporation Elections) के लिए तैयार किए गए प्रभाग रचना का प्रारुप रद्द कर न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए वह नए से बनाया जाए। यह आक्षेप वार्ड रचना को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यायिका दायर करनेवाले पूर्व नगरसेवक समीर राजूरकर ने लिया है। यह प्रारुप जारी होने से पूर्व ही लिक होने को लेकर राजूरकर ने आक्षेप जताया है। 

    महानगरपालिका चुनाव (Municipal Elections) के लिए तैयार किए गए प्रभाग रचना प्रारुप पर आक्षेप दाखिल करने के लिए 16 जून अंतिम तारीख थी। उसके अनुसार नागरिकों ने बीते एक पखवाड़े में 324 आक्षेप दाखिल किए। उसमें वार्ड रचना के बारे में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करनेवाले पूर्व नगरसेवक समीर राजूरकर (Former Corporator Sameer Rajurkar) ने आक्षेप दाखिल किया।

    नियमों का किया गया उल्लघंन 

     उन्होंने आक्षेप में बताया कि न्यायालय ने दिए हुए आदेश का पालन करते हुए वार्डों के प्रारुप और सीमा का मसौदा तैयार होना चाहिए था,  लेकिन राजनीतिक दबाव में वार्डों के प्रारुप और बाउंड्री के मसौदा तैयार करते समय नियमों का उल्लघंन किया गया है। दलित बस्ती, निवासी बस्तियों का कई स्थानों पर विभाजन किया गया है। खाम नदी, सुखना नदी, राष्ट्रीय महामार्ग, नैसर्गिक क्षेत्रों का कई स्थानों पर उल्लघंन किया गया है। कुछ प्रभागों में गणक समूहों  का विभाजन किया गया है। यह बात काफी गंभीर है।

    वार्डों का मैप और उसके विस्तार का कहीं भी तालमेल नहीं 

    उन्होंने कहा कि वार्डों का मैप और उसके विस्तार का कहीं भी तालमेल नहीं है। मैप में शामिल किए गए क्षेत्र का विस्तार दिखाई नहीं दे रहा है।  वार्ड के विस्तार में वर्णन किए क्षेत्र मैप में दिखाई नहीं दे रहे हैं। वार्डों के प्रारुप और सीमा का मसौदा जारी होने से पूर्व ही लिक हुआ है। लिक हुआ प्रारुप और जारी हुआ प्रारुप एक ही है इसलिए यह प्रारुप रद्द कर नए से न्यायालय के आदेश का पालन कर प्रारुप तैयार करने को लेकर समीर राजूरकर ने आक्षेप लिया है।  

    अब तक नहीं हुई अधिकारियों पर कार्रवाई

     पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व नगसेवक समीर राजूरकर ने कहा कि प्रभाग रचना के कार्रवाई में गोपनियता को बरकरार रखते हुए नियमानुसार काम करने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हुए है, परंतु प्रारुप लिक होने से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लघंन हुआ है। वार्ड रचना के बारे में दाखिल की गई याचिका में चुनाव आयोग ने शपथपत्र देते हुए उसमें गोपनियता का भंग करनेवाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात उल्लिखीत की है, परंतु संबंधित अधिकारी पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। इस पर भी समीर राजूरकर ने आक्षेप जताया है।